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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शरीर के स्वास्थ्य के प्रति हम जितना सावधान रहते हैं उतना ही मन के स्वास्थ्य के लिए भी सावधान रहें। दूसरा सब कुछ भले ही बिगड़े, पर मन न बिगड़े – इस बात का अवश्य ध्यान रखें।
आज का व्यक्ति अपने घरों में अचार न बिगड़ जाय इसका ध्यान रखता है, कपड़े न बिगड़ें इसका भी बहुत ध्यान रखता है, किन्तु मन बिगड़ रहा है इस और कोई ध्यान ही नहीं है। याद रखो, मरने के बाद तन से छुटकारा हो जायेगा और वह नया मिल जायेगा, किन्तु मन तो मरने के बाद भी नहीं बदलेगा। वह तो साथ ही रहेगा।
बिगड़े हुए शरीर का कोई अवयव शायद बदला जा सके, किन्तु बिगड़े हुए मन को कभी भी बदल नहीं सकते।अतः जिस मन को बदला नहीं जा सकता और जो मरने के बाद भी साथ ही जाने वाला है, वह न बिगड़े – इस तरफ हमें ध्यान रखना ही चाहिए।
मन यदि साफ है तो आप चाहे बंगले में रहो, सन्त बने रहोगे और यदि मन खराब है तो गंगा के किनारे भी आप असन्त ही बने रहोगे। ज्ञान का रूप यदि क्रिया में परिवर्तित नहीं होता तो वह शुष्क ही रहेगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।