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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दो-चार दिन के लिए यदि हमें अचानक बाहर गांव जाना पड़े तो भी मार्ग के कष्टों से बचने के लिये हम पहले से तैयारी कर लेते हैं। किन्तु जीवन में एक-न-एक दिन हमें जाना है, इस निश्चित मृत्यु-यात्रा के लिये हम कोई तैयारी नहीं करते, यह कितने आश्चर्य की बात है।
याद रखो, जीवन भर अत्यन्त कष्ट से इकट्ठा की गई सम्पत्ति अन्त समय किसी काम में आने वाली नहीं है। उस समय तो केवल भलाई के काम ही उपयोगी बनते हैं। अतः भाई दूसरे सभी कर्मों के साथ रोज थोड़ा-थोड़ा मरने का अभ्यास भी करते रहो।
इतना होते हुए भी हम जीवन के अन्त में व्यर्थ सिद्ध होने वाली सम्पत्ति को इकट्ठा करने में ही जीवन गवा देते हैं – और जीवन के अन्तिम क्षणों में काम आने वाले भलाई के कामों की ओर ध्यान ही नहीं देते हैं। कितना आश्चर्य है मान अपमान में मन को शान्त रखना सबसे महान पुण्य कार्य है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।