Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण आत्मा के अविनाशी स्वरूप को अपने सखा अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता में समझा रहे हैं। आत्मा जन्मती नहीं है और मरती भी नहीं है। जिस प्रकार सूर्य का उदय भी नहीं होता और सूर्य का अस्त भी नहीं होता है। कोई भावुक भक्त सुबह सूर्य को अर्घ्य देते समय आंसू बहते हुए कहे कि बारह घंटे के लिए आप कहां चले गए थे, तो हंसते हुए सूर्य कहेंगे मैं तो अमेरिका गया था। जब भारत में दिन होता है तो अमेरिका में रात होती है।
पूरे बारह घंटे का अंतर है, यह बात विज्ञान भी स्वीकार करता है। इस तरह न आत्मा का जन्म होता है, न आत्मा की मृत्यु होती है। जिस संशय में समाधान की प्यास नहीं होती वह संशय धीरे-धीरे सिद्धांत का रूप ले लेता है और संशय को सिद्धांत समझने की भूल मत करना, वरना जीवन नष्ट होगा।
अगर संशय होते हैं तो किसी अनुभूति पा चुके संत के पास उसे प्रकट कर देना चाहिए। बुद्ध कहेंगे शून्य हो जाओ। तो शंकराचार्य जी कहेंगे पूर्ण हो जाओ। जो सबको रमाता है वो राम है और जो सबको रुलाता है वो रावण है। यदि इस संसार में हम सबको रोना बंद करना है तो मोह रूपी दशानन से मुक्त हो जायें, श्रीराम से युक्त हो जायें।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
