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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कैकेयी ने जब राम से वन में जाने के लिए कहा तो मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने केवल इतना ही कहा ” माँ , तुमने तो मेरे मन की बात कही। मेरा भाई भरत शाश्वत सुख प्राप्त करे – इसके लिए तो मैं हमेशा के लिए बन में रहने को तैयार हूं।”
भरत ने जब तक राम वन में रहे, तब तक महल में रहकर भी तप किया। भरत ने भी अन्न नहीं खाया। बताओ ! दुनियां में ऐसा उच्च बंधु-प्रेम कहीं दिखाई देता है। आज तो रामायण का पारायण करने वाले एवं राम कथा श्रवण करने वाले दो भाई कोर्ट में लड़ते हैं और दोनों की हानि,अर्थात् नुकसान ही होता जाता है। कितना आश्चर्य है।
आज का मनुष्य घर भी नहीं छोड़ सकता है और न घर में शांतिपूर्वक रह सकता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।