यौवन क्षणभंगुर है, जीवन को भगवद् स्मरण में करें अर्पित: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मनुष्य के मरने के बाद उसकी आत्मा की शान्ति के लिए घर के व्यक्ति भागवत सप्ताह का पारायण कराते हैं। घर के इन व्यक्तियों की भावना तो अच्छी है, परन्तु यदि मरने वाले का जीवन बुरे कर्मों में ही बीता हो तो इस सप्ताह का कोई विशेष महत्व नहीं है।
वास्तव में तो मनुष्य का जीवन-सप्ताह अर्थात् जीवन का एक-एक दिन भागवत पारायणता में बीताना चाहिए।जीवन यदि इस तरह बीता हो तो मरने के बाद भागवत पारायण का सप्ताह बिठाने की कोई आवश्यकता नहीं। भागवत सप्ताह की तो अद्भुत महिमा है, फिर भी श्रेष्ठ जीवन जीने की आवश्यकता है।
अतः चलो, हम अपने जीवन के सप्ताह को भगवद् कार्य और भगवद् स्मरण में ओत-प्रोत होकर भागवद्मय बनायें, जिससे अपनी मृत्यु के बाद  भागवत-सप्ताह की आवश्यकता ही न रहे। ताकि अपने निमित्त भागवत-सप्ताह कराने वाले का स्वयं ही मंगल हो। यौवन हमेशा रहने वाला नहीं है। अतः जो कुछ करना हो अभी से करना होगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।

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