टैरिफ से जुड़ी चुनौतियों और भू-राजनीतिक तनाव जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय कंपनियों की क्रेडिट प्रोफाइल ने मजबूती दिखाई है. यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है. ICRA रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की घरेलू-केन्द्रित प्रकृति के कारण, अमेरिका जैसे देशों द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ का भारत की व्यापक आर्थिक स्थिति पर असर सीमित रहने की संभावना है.
घरेलू खपत को बढ़ावा मिलने की संभावना
आईसीआरए रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, जीएसटी सुधार, आयकर में राहत, ब्याज दरों में कटौती और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी से घरेलू खपत को बढ़ावा मिलने की संभावना है, जिससे शहरी मांग को विशेष रूप से मदद मिलेगी. भारत से अमेरिका को निर्यात पर 50% का भारी टैरिफ लगाने से यूएस मार्केट पर निर्भर रहने वाले सेक्टर्स के निर्यातकों जैसे खासकर कट एंड पॉलिश डायमंड (सीपीडी), कपड़ा और समुद्री भोजन जैसे क्षेत्रों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.
75 की रेटिंग में गिरावट दर्ज
ICRA के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य रेटिंग अधिकारी के. रविचन्द्रन ने कहा, इन सकारात्मक घरेलू रुझानों को देखते हुए ICRA ने FY26 के लिए जीडीपी वृद्धि के अपने अनुमान को 50 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.5% कर दिया है, जिससे अमेरिका के टैरिफ के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी. आईसीआरए ने FY26 की पहली छमाही में 214 कंपनियों की रेटिंग में सुधार किया और 75 की रेटिंग में गिरावट दर्ज की, जिससे 2.9 गुना का मजबूत क्रेडिट रेश्यो प्राप्त हुआ.
बिजनेस फंडामेंटल में सुधार
रेटिंग में यह सुधार कंपनी-विशिष्ट कारकों जैसे बिजनेस फंडामेंटल में सुधार, पैरेंट कंपनी की मजबूत क्रेडिट प्रोफाइल और पावर-रोड सेक्टर में प्रोजेक्ट रिस्क में कमी की वजह से देखा गया. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से मर्चेंडाइज ट्रेड को जोखिम का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिका भारत के कुल निर्यात का लगभग 20% हिस्सा है, जिसमें से 50-60% हिस्सा इस टैरिफ के कारण खतरे में है.
FY26 में व्यापारिक निर्यात में आ सकती है गिरावट
यदि यह टैरिफ मार्च 2026 तक बना रहता है, तो FY26 में व्यापारिक निर्यात में लगभग 4-5% की गिरावट आ सकती है. रिपोर्ट में रविचंद्रन ने बताया कि बाहरी चुनौतियों के बावजूद, भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव सीमित रहने की संभावना है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू मांग पर आधारित है और अमेरिका को निर्यात का केवल 2% हिस्सा जाता है.