वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने वैल्यू-एडेड चमड़ा उत्पादों के निर्यात पर लागू प्रमुख प्रतिबंधों को हटाने के लिए एक अधिसूचना जारी की. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, इस कदम से अनुपालन बोझ कम होने और निर्यातकों के लिए कारोबार सुगमता में सुधार होने की उम्मीद है. मंत्रालय की ओर से दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, बंदरगाह प्रतिबंध हटा दिए गए हैं, जिससे किसी भी बंदरगाह या इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) से तैयार चमड़ा, गीला नीला चमड़ा, और ईआई टेंडेड चमड़ा निर्यात करने की अनुमति मिल गई है.
पहले, ये निर्यात विशिष्ट अधिसूचित बंदरगाहों तक ही सीमित थे। तैयार चमड़ा, गीला नीला चमड़ा, क्रस्ट चमड़ा और ईआई टैन्ड चमड़ा के निर्यात के लिए केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (CLRI) के परीक्षण और प्रमाणन की अनिवार्य आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया है. इन प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को मूल रूप से वैल्यू-एडेड चमड़ा उत्पादों के निर्यात की निगरानी करने और उन्हें कच्चे चमड़े और शुल्क योग्य वस्तुओं से अलग करने के लिए स्थापित किया गया था.
हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि ऐसे चमड़े की श्रेणियों पर निर्यात कर समाप्त होने और प्रोसेस्ड तथा कच्चे चमड़े के बीच स्पष्ट भौतिक अंतर के कारण, मौजूदा जांचों को अनावश्यक माना गया है. यह निर्णय चमड़ा निर्यात परिषद, चमड़ा निर्यातकों और CLRI सहित हितधारकों के साथ परामर्श के बाद लिया गया है. इससे निर्यात प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, लेन-देन की लागत को कम करने और विशेष रूप से MSME निर्यातकों को लाभ मिलने की उम्मीद है. ये सुधार सामान्य सीमा शुल्क प्रावधानों के तहत पारदर्शिता और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखते हुए वैश्विक चमड़ा मूल्य श्रृंखला में निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के भारत के प्रयासों का भी समर्थन करते हैं. भारत के चमड़ा और गैर-चमड़ा फुटवियर निर्यात में वित्त वर्ष 2025 में करीब 25% की वृद्धि देखी गई है, जो 5.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है.
चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में उद्योग के 6.5 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है. फुटवियर निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीएलई ने बताया कि विकसित और विकासशील दोनों देशों से मांग मजबूत बनी हुई है, जो प्रभावशाली वृद्धि में योगदान दे रही है.