परमात्मा के स्मरण से ही मनुष्य का जीवन हो जाता है धन्य: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति का प्रेम-बंधन- भक्तों की भगवद्मयता जब ऊंचे शिखर को छू लेती है, तब परमात्मतत्व उनकी इच्छा के अधीन बन जाता है. सच्चे भक्त भगवान को प्रेम-बंधन में इस प्रकार बांध लेते हैं कि स्वयं ईश्वर चाहकर भी उस प्रेम-बंधन को नहीं तोड़ सकता. इसीलिए भक्त सूरदास जी कह सकते थे- वाँह छुड़ाए जात हो,निबल जानि के मोहि। हृदय ते जब जाहुगे, मरद बखानौ तोहि।।

अर्थात् हृदय-प्रदेश में परमात्मतत्व के सतत स्मरण और सानिध्य से ही मनुष्य को परमात्मा का आत्मानुभव होता है और उसका जीवन धन्य बनता है. मनुष्य चाहे अपना कर्तव्य चुक जाय, पर ईश्वर नहीं चूक सकता. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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