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केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम और डीपीडीपी नियम देश में एक सुरक्षित, भरोसेमंद और भविष्य के अनुरूप डिजिटल वातावरण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं. नए नियम यह स्पष्ट करते हैं कि व्यक्तिगत डेटा को कैसे प्रबंधित किया जाना चाहिए। ये प्रावधान न केवल व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करते हैं, बल्कि संगठनों की जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट रूप से निर्धारित करते हैं. प्राइवेसी को प्राथमिकता देते हुए ये नियम भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को समर्थन प्रदान करते हैं.
डीपीडीपी नियम 2025 को 14 नवंबर को किया गया अधिसूचित
केंद्र की ओर से डीपीडीपी नियम 2025 को 14 नवंबर को अधिसूचित किया गया. वहीं, संसद की ओर से इस अधिनियम को दो वर्ष पूर्व 11 अगस्त 2023 को ही पारित कर दिया गया था. यह अधिनियम और नियम मिलकर पर्सनल डेटा के सही और जिम्मेदारी से इस्तेमाल के लिए एक नागरिक-केंद्रित फ्रेमवर्क तैयार करते हैं. अधिनियम एसएआरएएल अप्रोच यानी सिंपल, एक्सेसिबल, रेशनल और एक्शेनेबल अप्रोच को फॉलो करता है. इसे स्पष्ट भाषा और चित्रों से समझाया गया है, ताकि व्यवसायों और व्यक्तियों को नियमों को समझने को लेकर किसी तरह की कोई परेशानी न आए.
डीपीडीपी अधिनियम, 2023 के तहत डेटा फिड्युसरी, डेटा प्रिंसिपल, डेटा प्रोसेसर, सहमति प्रबंधक और अपीलीय न्यायाधिकरण जैसे प्रमुख शब्दों को समझना आवश्यक है. डेटा फिड्युसरी वह संस्था होती है जो यह तय करती है कि व्यक्तिगत डेटा को किस उद्देश्य से और किस तरह प्रोसेस किया जाएगा. डेटा प्रिंसिपल वह व्यक्ति है जिसका व्यक्तिगत डेटा संबंधित होता है, जबकि बच्चों के मामले में उनके माता-पिता डेटा प्रिंसिपल माने जाते हैं. डेटा प्रोसेसर वह इकाई है जो डेटा फिड्युसरी की ओर से डेटा का प्रॉसेसिंग करती है.
इसके अलावा, सहमति प्रबंधक वह एंटिटी है, जो वह एंटिटी है, जो डेटा प्रिंसिपल को उसके डेटा को मैनेज करने, रिव्यू करने, सहमति देने को लेकर एक सिंगल और ट्रांसपेरेंट प्लेटफॉर्म प्रदान करे. केंद्र के अनुसार, डीपीडीपी नियम व्यक्तियों को कई तरह से सशक्त बनाते हैं. नियमों के तहत प्रत्येक व्यक्ति के पास उसके पर्सनल डेटा का इस्तेमाल करने को लेकर अनुमति देने या अस्वीकार करने का विकल्प होगा.
इसके साथ ही नागरिकों को यह अधिकार मिलेगा कि वे यह जान सकें कि उनका कौन-सा व्यक्तिगत डेटा एकत्र किया जा रहा है, किस उद्देश्य से लिया जा रहा है और उसका उपयोग कैसे किया जा रहा है. कुछ स्थितियों में व्यक्ति अपने व्यक्तिगत डेटा को हटाने का अनुरोध भी कर सकते हैं. ऐसे प्रावधानों के जरिए देश एक सुरक्षित, पारदर्शी और नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले डेटा इकोसिस्टम की दिशा में आगे बढ़ेगा, जहाँ नागरिकों के हित सर्वोपरि होंगे और डिजिटल शासन में जनता का भरोसा और अधिक मजबूत होगा.