भारत बना समुद्री खाद्य निर्यात में वैश्विक अग्रणी, 2030 तक 15 अरब डॉलर का लक्ष्य

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारत अब 132 देशों को समुद्री खाद्य (सीफूड) निर्यात कर रहा है और इस क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है. देश ने 2030 तक सीफूड निर्यात को दोगुना कर 15 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. FY24-25 के दौरान भारत ने 16.98 लाख टन समुद्री खाद्य का निर्यात किया, जिसकी कुल वैल्यू 62,408.45 करोड़ रुपए (7.45 अरब डॉलर) रही. जबकि, पिछले वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 17.81 लाख टन और 60,523.89 करोड़ रुपए (7.38 अरब डॉलर) था. यह वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव के बावजूद इस क्षेत्र की मजबूत क्षमता को दर्शाता है.

भारत में Asia का सबसे बड़ा सीफूड ट्रेड फेयर सितंबर 2025 में

सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEAI) ने बताया कि मत्स्य पालन क्षेत्र देश के 3 करोड़ मछुआरों और फिश फार्मरों की आजीविका से जुड़ा है और भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है. इंडिया इंटरनेशनल सीफूड शो (IISS) 2025 का 24वां संस्करण 25 से 28 सितंबर तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होगा. यह एशिया का सबसे बड़ा सीफूड ट्रेड फेयर है. इस वर्ष का आयोजन भारत सरकार के प्रमुख वैश्विक खाद्य नवाचार कार्यक्रम वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का हिस्सा होगा.

भारत के समुद्री खाद्य निर्यात क्षेत्र की शानदार वृद्धि को प्रदर्शित करता है IISS

एसईएआई के अध्यक्ष पवन कुमार (Pawan Kumar) ने कहा, आईआईएसएस भारत के समुद्री खाद्य निर्यात क्षेत्र की शानदार वृद्धि को प्रदर्शित करता है. अपनी स्वर्ण जयंती मनाते हुए, यह कार्यक्रम हमें वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने और नए बाजारों में विस्तार करने में मदद करेगा.

एसईएआई के महासचिव के.एन. राघवन (K.N. Raghavan) ने कहा, हमारा आदर्श वाक्य, सतत तरीके से प्राप्त, मानवीय तरीके से सोर्सिंग, नैतिक सोर्सिंग और जिम्मेदार एक्वाकल्चर प्रथाओं के प्रति हमारी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उन्होंने आगे कहा कि आईआईएसएस 2025 स्किल डेवलपमेंट, सस्टेनेबिलिटी और इनोवेशन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एक मंच होगा.

एक रिपोर्ट में अपने इस कार्यक्रम को लेकर जानकारी देते हुए एसईएआई ने कहा कि IISS 2025 में 260 से अधिक स्टॉल, तकनीकी सत्र और गोलमेज चर्चा होगी, जिसमें 15 से अधिक देशों के प्रतिभागी शामिल होंगे. इनमें अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, वियतनाम, यूएई, जर्मनी, बेल्जियम, जापान, चीन जैसे देशों की भागीदारी रहेगी.

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