India FDI: देश में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान नेट विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) लगभग दोगुना होकर 6.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 3.3 अरब डॉलर था. इस वृद्धि का मुख्य कारण रिपैट्रिएशन यानी निवेश की वापसी में कमी है, हालांकि विदेशों में निवेश (आउटवर्ड FDI) भी बढ़ा है.
ग्रॉस इनवर्ड FDI में बढ़ोतरी
इस अवधि में ग्रॉस इनवर्ड FDI भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा रहा. अप्रैल-अक्टूबर में यह 58.3 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल 50.5 अरब डॉलर था. अक्टूबर में FDI स्थिर रहा और इसमें सिंगापुर, मॉरीशस और अमेरिका का योगदान 70% से अधिक रहा.
रिपैट्रिएशन और आउटवर्ड FDI
वित्त वर्ष के अप्रैल-अक्टूबर में रिपैट्रिएशन घटकर 31.65 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल यह 33.2 अरब डॉलर था. वहीं, आउटवर्ड FDI बढ़कर 20.5 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल 14.06 अरब डॉलर था.
किन सेक्टरों में आया निवेश
आरबीआई की “स्टेट ऑफ द इकॉनमी” रिपोर्ट के मुताबिक, 60% से ज्यादा एफडीआई वित्तीय सेवाओं में आया. इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग, बिजली और कम्युनिकेशन सेवाओं में निवेश हुआ.
अक्टूबर में नेट FDI निगेटिव
हालांकि अक्टूबर में नेट FDI निगेटिव रहा, इसका कारण अधिक रिपैट्रिएशन और आउटवर्ड FDI था. अक्टूबर में रिपैट्रिएशन लगभग 5 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल इसी महीने 5.4 अरब डॉलर था. वहीं, आउटवर्ड FDI बढ़कर 3.90 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह 1.89 अरब डॉलर था.
आउटवर्ड FDI के गंतव्य
रिपोर्ट के अनुसार, आउटवर्ड FDI के प्रमुख गंतव्य सिंगापुर, अमेरिका और यूएई रहे, जिनका हिस्सा कुल निवेश का आधे से ज्यादा है. सेक्टरवार आंकड़ों के अनुसार, लगभग 90 प्रतिशत आउटवर्ड FDI वित्तीय, बीमा और बिजनेस सेवाओं में गया, इसके बाद थोक-खुदरा व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का स्थान रहा.

