अब भारत में बनेगा राफेल का मेन पार्ट, इन कंपनियों के बीच हुआ समझौता

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Rafale Fighter Jet: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्‍तान को घुटनों के बल लाने वाले राफेल फाइटर जेट से जूड़ी बड़ी खबर सामने आई है. अब राफेल का फ्यूस लॉज यानी फाइटर जेट का मेन बॉडी भारत में बनेगा. राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन और भारत के टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के बीच चार उत्पादन हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इकोनॉमिक टाइम्‍स के खबर के अनुसार, यह पहली बार है जब फाइटर जेट के मेन बॉडी का उत्पादन फ्रांस के बाहर किया जाएगा.

कौन सा हिस्सा भारत में बनेगा

डसॉल्ट एविएशन के अनुसार, यह भारत के एयरोस्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर में एक महत्‍वपूर्ण निवेश है और उच्च परिशुद्धता विनिर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में काम करेगा. खबर के अनुसार, दोनों कंपनियां की इस साझेदारी के तहत टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स हैदराबाद में राफेल के प्रमुख संरचनात्मक खंडों के निर्माण के लिए लेटेस्‍ट टेक्‍नोलॉजी से लैस एक प्‍लांट लगाएगा. यहां राफेल के धड़ के पिछले गोले, पूरा पिछला भाग, केंद्रीय धड़ और सामने का भाग शामिल है.  राफेल का पहला मेन बॉडी वित्त वर्ष 2028 में असेंबली लाइन से तैयार होकर निकलने की संभावना है. इस फैसिलिटी से हर महीने दो पूर्ण धड़ बनने की उम्मीद है.

कंपनी ने कहा…  

डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा है कि यह भारत में हमारी सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. भारतीय एयरोस्पेस उद्योग में प्रमुख खिलाड़ियों में से एक टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स समेत हमारे स्थानीय भागीदारों के विस्तार की बदौलत, यह सप्लाई चेन राफेल के सफल रैंप-अप में योगदान देगी. इसके साथ ही हमारे सपोर्ट से हमारी क्वालिटी और प्रतिस्पर्धात्मकता की आवश्‍यकताओं को पूरा करेगी.

जबरदस्त मारक क्षमता से लैस है राफेल 

राफेल एक ट्विन-जेट लड़ाकू विमान है जो विमानवाहक पोत और तटीय बेस दोनों से संचालित किया जा सकता है. पूरी तरह से बहुमुखी राफेल सभी लड़ाकू विमानन मिशनों को पूरा करने में सक्षम है. राफेल हवाई श्रेष्ठता और हवाई रक्षा, नजदीकी हवाई सहायता, गहराई से हमले, टोही, जहाज-रोधी हमले और परमाणु निरोध जैसी खासियत से युक्‍त है. राफेल फाइटर जेट दुनिया के सबसे अनुभवी लड़ाकू विमानों में से एक है. इसके पास अब फ्रांसीसी ऑर्डर से ज़्यादा निर्यात ऑर्डर हैं.

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