2,781 करोड़ रुपए के मल्टीट्रैकिंग रेलवे प्रोजेक्ट्स को केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने बुधवार को 2,781 करोड़ रुपए के मल्टीट्रैक रेलवे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी. इन परियोजनाओं की कुल लंबाई 224 किलोमीटर होगी और यह महाराष्ट्र और गुजरात के चार जिलों में फैली होंगी. कैबिनेट कमेटी के अनुसार, इन दो प्रोजेक्ट्स में देवभूमि द्वारका (ओखा)-कनालूस लाइन के 141 किलोमीटर लंबे हिस्से का दोहरीकरण और बदलापुर-कर्जत तीसरी व चौथी लाइन के 32 किलोमीटर हिस्से का दोहरीकरण शामिल है.
कनालूस से ओखा (देवभूमि द्वारका) तक होने वाले दोहरीकरण से द्वारकाधीश मंदिर तक बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे मुख्य तीर्थस्थल तक पहुंच आसान होगी और सौराष्ट्र क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान मिलेगा. वहीं, बदलापुर-कर्जत सेक्शन मुंबई सबअर्बन कॉरिडोर का हिस्सा है, इसलिए तीसरी और चौथी लाइन का प्रोजेक्ट मुंबई सबअर्बन इलाके में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा और यात्रियों की भीड़ को कम करने में मदद करेगा, साथ ही दक्षिणी भारत से भी कनेक्टिविटी देगा. यह मार्ग कोयला, नमक, कंटेनर, सीमेंट, पीओएल जैसी आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण रूट है. इ
न क्षमता बढ़ाने वाले कार्यों से रेलवे की माल ढुलाई क्षमता में अतिरिक्त 18 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) का इजाफा होगा. मंजूर मल्टीट्रैकिंग प्रोजेक्ट के माध्यम से लगभग 585 गांवों की कनेक्टिविटी सुधरेगी, जिनकी कुल आबादी लगभग 32 लाख है. रेलवे परिवहन का एक पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल साधन होने के कारण, देश के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, दोनों में मदद करेगा. इन प्रोजेक्ट्स से प्रति वर्ष तेल आयात (3 करोड़ लीटर) में कमी आएगी, कार्बन डाइऑक्साइड (16 करोड़ किलोग्राम) उत्सर्जन कम होगा. उत्सर्जन में यह कमी 64 लाख (चौसठ लाख) पेड़ों के रोपण के बराबर है. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बढ़ी हुई लाइन क्षमता भारतीय रेलवे के लिए मोबिलिटी को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी,
जिसके परिणामस्वरूप परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा. ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स रेल संचालन को अधिक सुव्यवस्थित बनाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. ये पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “नए भारत” के विजन के अनुरूप हैं, जिसका लक्ष्य क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है. इस विकास के माध्यम से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे वे अधिक आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

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