बिहार SIR मामला: सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को बड़ा झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा आगे बढ़ाने की मांग खारिज

Must Read

Delhi: सुप्रीम कोर्ट से विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने सोमवार को बिहार SIR (में विशेष गहन पुनरीक्षण) के मामले में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे.

मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा

आयोग ने कहा है कि नामांकन की अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा. इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी. चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने बताया कि आज की सुनवाई में दो याचिकाएं दायर की गईं. मुख्य मांग थी कि आधार कवरेज को 65 प्रतिशत की बजाय सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ाया जाए साथ ही समयसीमा को भी बढ़ाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया.

99.5 प्रतिशत लोगों का हो चुका है आवेदन 

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ECI का डाटा नोट किया है कि 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन हो चुका है और कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया है कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर लोग अपनी आपत्ति या दावा पेश कर सकते हैं. वकील एकलव्य द्विवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मांग को भी नकार दिया है. कोर्ट ने माना है कि आधार का उद्देश्य नागरिकता को साबित करने का नहीं बल्कि पहचान को साबित करने का है. आधार कार्ड को ‘डेट ऑफ बर्थ’ का आधार माना जा सकता है.

25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है. समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं. आयोग ने कहा कि 1 सितंबर से 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय है और इसके बाद भी कोई रोक नहीं है. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और सही दावों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा.

बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के चेयरमैन को निर्देश

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वे पैरा- लीगल वॉलेंटियर्स को मतदाताओं की मदद के लिए नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि दावे और आपत्तियां दर्ज करने में सहायता मिल सके. याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश केवल 65 लाख लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि आधार कार्ड के कारण किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ तो उनकी सूची 8 सितंबर को कोर्ट के समक्ष पेश की जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें कोर्ट आधार कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की सूची पर विचार करेगा.

इसे भी पढ़ें. जनता दर्शन में बोली नन्हीं ‘मायरा’..‘मेरा एडमिशन करा दीजिये’, यह सुन रुक गए CM योगी, दिए ये आदेश?

Latest News

20 October 2025 Ka Panchang: सोमवार का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

20 October 2025 Ka Panchang: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त...

More Articles Like This