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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारतीय जनता पार्टी ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले तय की गई 50% पात्रता शर्तों को लगभग पूरा कर लिया है. अब केवल उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा शेष है. इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का एलान किसी भी समय संभव है. फिलहाल, जिन नामों की चर्चा जोरों पर है- जैसे भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल खट्टर या शिवराज सिंह चौहान- उनमें से किसी के चुने जाने की संभावना फिलहाल कम लगती है.
वहीं, यह संभावना पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता कि इस बार पार्टी किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए, लेकिन इसकी संभावना भी सीमित मानी जा रही है. हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) का नाम भी चर्चा में आया है. ऐसा माना जा रहा है कि वे मुख्यधारा की राजनीति में वापसी करना चाहते हैं. मनोज सिन्हा न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं, बल्कि संघ (RSS) के भी विश्वासपात्र हैं. इसलिए यह माना जा रहा है कि पार्टी उनके नाम पर गंभीरता से विचार कर सकती है.
भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों- विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल- को ध्यान में रखते हुए ऐसा अध्यक्ष चुनना चाहेगी जो जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साध सके. यह भी निश्चित है कि नया अध्यक्ष संघ और भाजपा, दोनों की सहमति से चुना जाएगा, ताकि संगठन और पार्टी के बीच बेहतर समन्वय बना रहे. ज्ञात हो कि बीते लोकसभा चुनाव में तत्कालीन अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के कुछ बयानों को लेकर संघ की नाराज़गी की खबरें सामने आई थीं.
ऐसे में पार्टी अब कोई भी फैसला बहुत सोच-समझकर लेगी. सबसे रोचक बात यह हो सकती है कि इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष केवल भाजपा का ही नेता न हो, बल्कि ऐसा वरिष्ठ व्यक्ति भी चुना जा सकता है जो संघ का प्रतिनिधि हो, पार्टी की नीतियों से अच्छी तरह परिचित हो और भाजपा के नेताओं के साथ बेहतर तालमेल रखता हो. संभावनाएं कई हैं, लेकिन नाम एक ही होगा- जो बड़ा भी होगा और शायद चौंकाने वाला भी.