CM Rekha Gupta: ‘वह जनता को बांटने का काम’, बंगाल हिंसा को शर्मनाक बताते हुए ममता बनर्जी पर भड़कीं सीएम रेखा गुप्ता

Divya Rai
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CM Rekha Gupta: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में वक्फ अधिनियम को लेकर हुई सांप्रदायिक हिंसा को ‘शर्मनाक’ और इसे सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के कामकाज पर लगा धब्बा बताया.

वह जनता को बांटने का काम कर रहीं

मीडिया से बातचीत के दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, “जिस तरह से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री खुद लोगों के बीच दरार पैदा करने में लगी हैं, वह निंदनीय है.” पश्चिम बंगाल में अस्थिर स्थिति की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “बहुत शर्मनाक है, अगर राज्य में इस प्रकार का माहौल है और उसमें खुद मुख्यमंत्री शामिल होकर जनता को बांटने का काम कर रही हैं.”

हिंदू परिवारों के प्रति जताई सहानुभूति

दिल्ली की मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक बहुल मुर्शिदाबाद जिले में सांप्रदायिक हिंसा का खामियाजा भुगतने वाले हिंदू परिवारों के प्रति सहानुभूति जताई. उन्होंने कहा, “जो हिंदू परिवार हैं, उनके ऊपर इतना अत्याचार और इतनी दर्दनाक स्थिति है कि लोगों को वहां से जाना पड़े तो एक महिला मुख्यमंत्री के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात नहीं हो सकती है.” सीएम रेखा गुप्ता की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुर्शिदाबाद में स्थिति की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया है.

सीएम ने केजरीवाल को करार दिया अवसरवादी

सीएम गुप्ता ने अपने पूर्ववर्ती और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर कई मुद्दों को लेकर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया और उन्हें अवसरवादी करार दिया. मुख्यमंत्री बोलीं, “वह अवसरवाद की राजनीति में माहिर हैं. वह केवल उन्हीं मुद्दों पर बयान देते हैं, जो उनके अनुकूल हों.” उन्होंने कहा कि केजरीवाल अपने बच्चों के नाम की कसम खाते हैं और फिर से गलत कामों में लिप्त हो जाते हैं और दागी लोगों से हाथ मिला लेते हैं.

केजरीवाल के दावों को लेकर क्या बोलीं मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने केजरीवाल के इस दावे पर आश्चर्य व्यक्त किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारी उनकी सरकार को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दे रहे हैं. सीएम गुप्ता ने कहा, “सरकार का मुखिया उनका लीडर होता है, तो देखना होता है कि वह उनसे काम लेना चाहता है या नहीं लेना चाहता. अधिकारी भी काम करना चाहते थे, उपराज्यपाल भी काम करना चाहते थे और केंद्र भी पूरा समर्थन दे रहा था. अब किसी की आदत ऐसी ही हो जाए, कि हमेशा कोसना है और मदद लेनी ही नहीं है तो क्या कह सकते हैं. पिछली सरकार का ऐसा व्यवहार बन गया था.”

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