Dr Manmohan Singh: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जयंती मनाई जा रही है, इस खास मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. ऐसे में आज हम आपको प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ.मनमोहन सिंह के जीवन से जुड़ा एक किस्सा बताएंगे. दरअसल, मनमोहन सिंह अपने जीवन की एक इच्छा को पूरा नहीं कर सके. उनकी एक इच्छा हमेशा के लिए अधूरी रह गई. आइए जानते हैं कि आखिर मनमोहन सिंह की वो इच्छा क्या थी…
Dr Manmohan Singh की ये इच्छा रह गई अधूरी
बता दें कि मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान के इस्लामाबाद से 100 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में बसे गाह गांव में हुआ था. उन्होंने यहीं के प्राइमरी स्कूल में कक्षा 4 तक की पढ़ाई की थी. हालांकि, विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया. विदेश में नौकरी करने के दौरान मनमोहन सिंह एक बार पाकिस्तान गए थे.
एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने खुलासा किया था कि विदेश में नौकरी करने के दौरान वो अपने दोस्त के साथ रावलपिंडी गए थे. तब वे उस गुरुद्वारे में गए थे, जहां बचपन में बैसाखी के दिन जाते थे. इस दौरान वो अपने गांव नहीं गए थे.
अपना प्राइमरी स्कूल देखना चाहते थे मनमोहन सिंह
राजीव शुक्ला ने इंटरव्यू के दौरान बताया था, “मैं एक बार पाकिस्तान से वापस आने के बाद उनके साथ पीएम हाउस में बैठा हुआ था. तभी उन्होंने मुझसे कहा था कि पाकिस्तान जाने का मेरा भी मन है. मैं उनसे पूछा कि आप पाकिस्तान में कहां पर जाना चाहते हैं तो उन्होंने जवाब में कहा कि मैं अपने गांव जाना चाहता हूं.
राजीव शुक्ला ने आगे बताया, “मैंने उनसे सवाल किया कि वो क्या अपना पुश्तैनी घर देखना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि मेरा घर तो बहुत पहले ही खत्म हो गया था. मैं उस स्कूल को देखना चाहता हूं, जहां पर मैंने मैंने कक्षा चार तक पढ़ाई की थी. हालांकि वो कभी पाकिस्तान नहीं जा पाए और उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो पाई.”