DRDO SAAW Project : वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी की दुनिया में DRDO एक नई छू रहा है. जानकारी के मुताबिक, DRDO का जेट-पावर्ड SAAW मिसाइल सिस्टम भारत की प्रिसिजन स्ट्राइक क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाएगा. जानकारी देते हुए DRDO ने बताया कि यह लंबी दूरी से दुश्मन के एयरबेस को निशाना बनाने के साथ पायलटों की सुरक्षा और मिशन सफलता की संभावना को भी बढ़ाएगा.
मिनी एयर-लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल के रूप में विकसित
बता दें कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन (SAAW) को एक नए जेट-पावर्ड वेरिएंट में अपग्रेड करने की योजना बनाई है. जानकारी के मुताबिक, इस योजना के तहत यह बदलाव इंजन के साथ पूरे मिसाइल सिस्टम में की जाने वाला है. उनका कहना है कि पहले यह ग्रैविटी-आधारित प्रिसिजन ग्लाइड बम था, लेकिन अब यह मिनी एयर-लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल के रूप में विकसित होगी.
जिससे मिसाइल सेल्फ प्रोपल्शन के साथ उड़ने में सहयोग करेगी. इसका परिणाम यह होगा कि इसकी रेंज मौजूदा 100 किलोमीटर से बढ़कर 200 किलोमीटर से भी अधिक हो जाएगी, इसकी सबसे खास बात यह है कि यह दुश्मन के एयर डिफेंस ज़ोन में घुसे बिना सुरक्षित दूरी से अटैक कर सकेगी.
इस तकनीक का किया सफल परीक्षण
जानकारी के मुताबिक, IIR तकनीक मौजूदा सैटेलाइट और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम से ज्यादा सटीकता देती है. बताया जा रहा है कि इसकी सटीकता (CEP) 3 मीटर से भी कम होगी. लेकिन यह सिस्टम दिन-रात, खराब मौसम और मोबाइल टार्गेट यानी किसी भी प्रकार से प्रभावी रूप से काम करता रहेगा. जानकारी के देते हुए बता दें कि इसके पहले भी DRDO ने नाग मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम में इस तकनीक का सफल परीक्षण किया है.
पायलट-विमान दोनों की होगी सुरक्षा
बता दें कि इस जेट-पावर्ड SAAW की मदद से एक साथ दुश्मन के एयरफील्ड, रनवे, रडार और कंट्रोल सेंटर जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमला करना आसान होगा. इसके साथ ही 200+ किमी रेंज के वजह से ज्यादातर दुश्मन के SAM की रेंज से बाहर रहेंगे, इससे पायलट और विमान की सुरक्षा पहले से ज्यादा बढ़ेगी.
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा भारत
DRDO के इस परीक्षण से भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. इसके साथ ही भारत की यह पहल रक्षा तकनीक को नई ऊंचाई देगा और ऐसे में इसके तैयार हो जाने के बाद विदेशी हथियारों पर निर्भरता घट जाएगी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस एयर ऑपरेशन का परिणाम निर्णायक रूप से प्रभावित हो सकता है.
चुनिंदा देशों में भारत भी होगा शामिल
जानकारी के मुताबिक, 2025 के अंत तक SAAW के नए वेरिएंट के ट्रायल होने की संभावना है. इसके परीक्षण के लिए योजना बनाई गई है कि इन परीक्षणों में अलग-अलग मौसम, दिन-रात की परिस्थितियों और विभिन्न मिशन प्रोफाइल पर इसकी रेंज और सटीकता की जांच होगी. बता दें कि सफल परीक्षण के बाद इसका उत्पादन शुरू होगा और भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास एडवांस एयर-लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल तकनीक होगी.
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