Gorakhpur: पहले हर साल मानसून के दौरान जलभराव की समस्या से जूझता गोरखपुर अब एक नई पहचान बना चुका है. गोरखपुर अब जलभराव के लिए नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी और स्मार्ट समाधान के लिए जाना जा रहा है. बता दें कि गोरखपुर ने देश का पहला स्मार्ट अर्बन फ्लड मैनेजमेंट सेल (UFMC) स्थापित किया है, जिसे 20 करोड़ रुपये के निवेश से विकसित किया गया है. यह सिस्टम अब हर बूंद पर नजर रखता है और सुनिश्चित करता है कि शहर में जलभराव की कोई समस्या न हो.
गोरखपुर आज देश के पहले स्मार्ट अर्बन फ्लड मैनेजमेंट सिस्टम का उदाहरण बनकर उभरा है. लंबे समय से जलभराव की समस्या को देखते हुए गोरखपुर नगर निगम के अधिकारियों ने एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है, जो अत्याधुनिक तकनीक के साथ जलभराव को रोकने का काम करता है.
कैसे काम करता है यह स्मार्ट फ्लड सिस्टम?
बता दें कि गोरखपुर के चारों ओर नदियां बहती हैं और इसका तल कम होने के कारण हर साल बरसात के मौसम में यहां जलभराव के समस्या का सामना करना पड़ता है. इसी बीच नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि “हमने एक ऐसा सिस्टम विकसित किया है जो 100 मिमी तक की बारिश को संभालने में सक्षम है.”
ऑटोमैटिक पंपिंग का इस्तेमाल
दरअसल, इस सिस्टम में ऑटोमैटिक पंपिंग का इस्तेमाल किया गया है, जो रियल टाइम डेटा के आधार पर काम करता है. इससे पहले जहां जलभराव को हटाने में 2 घंटे लगते थे, अब यह काम 1 घंटे में किया जा रहा है. इसके साथ ही शहर में 28 हॉटस्पॉट और 85 सेंसर प्वाइंट्स लगाए गए हैं, जिनकी मदद से पानी की स्थिति पर नजर रखी जाती है. खास बात ये है कि इस सिस्टम ने राष्ट्रपति के दौरे के दिन भी अपनी ताकत साबित की, जब 90 मिमी बारिश होने के बावजूद पूरे शहर में जलभराव की स्थिति नहीं बनी.
स्मार्ट फ्लड मैनेजमेंट से जुड़ी नई तकनीक
गोरखपुर में स्थापित यूएफएमसी कंट्रोल रूम में रियल टाइम मॉनिटरिंग, वाटर लेवल सेंसर, जीपीएस टैग्ड ड्रेनेज और रेन गेज सिस्टम जैसे अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं. नगर आयुक्त ने बताया कि “हमने हर नाले को टैप कर इनकी इन्वेंटरी तैयार की है और हर 4 किमी पर रेन गेज लगाया गया है, जो हर 15 मिनट पर डेटा भेजता है.”
इस सिस्टम का मास्टर प्लान 100 वर्षों के बारिश के आंकड़ों पर आधारित है, और यह भारत का पहला फुल ऑपरेशनल अर्बन फ्लड सिस्टम है. वहीं, इस पहल की प्रमुख डॉ. सौम्या श्रीवास्तव का कहना है कि “यह न केवल यूपी, बल्कि भारत का पहला पूरी तरह ऑपरेशनल और स्मार्ट फ्लड मैनेजमेंट सिस्टम है.”
गोरखपुर की सफलता ने शहर को बना दिया मॉडल
नेपाल की सीमा से सटे होने के वजह से भी गोरखपुर के लिए यह उपलब्धि काफी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यहां तटीय क्षेत्र नहीं होने के बाद भी उसे चेन्नई जैसे स्मार्ट शहरों की तकनीक से सुसज्जित किया गया है. इसी बीच गोरखपुर के महापौर मंगलेश श्रीवास्तव ने बताया कि “हमारे अधिकारियों ने चेन्नई और बेंगलुरु जाकर वहां के सिस्टम को समझा और फिर इसका बेहतर संस्करण गोरखपुर में लागू किया.”
ऐसे में गोरखपुर का यह फ्लड मैनेजमेंट सिस्टम आज पूरे देश के लिए एक आदर्श बन चुका है. इसी बीच भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि “गोरखपुर का यह सिस्टम यूपी के बाकी शहरों के लिए आदर्श बन सकता है, जो जलभराव की समस्या से जूझते हैं.”
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