PM Modi Speech: पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन, कहा- ‘वन नेशन-वन टैक्स’ का सपना हुआ साकार

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

PM Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम 5 बजे राष्ट्र को संबोधित किया. पीएम मोदी का यह संबोधन मुख्य रूप से आर्थिक सुधारों और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को और मजबूत करने पर केंद्रित रहा. पीएम मोदी ने देशवासियों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया, जो नवरात्रि से शुरू हो रहे त्योहारों के बीच एक प्रेरणादायक संदेश के रूप में सामने आया.

त्योहारों के इस मौसम में सबका मुंह होगा मीठा

पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा, मेरे प्रिय देशवासियों नमस्कार. कल से नवरात्र शुरू हो रहा है. आप सभी को नवरात्र की शुभकामनाएं. नवरात्र के प्रथम दिवस सूर्योदय के साथ ही नेकस्ट जेनरेशन जीएसटी रिफाॅर्म्स शुरू हो जाएंगे. जीएसटी बचत महोत्सव शुरू हो रहा है. उन्‍होंने कहा कि अब जीएसटी बचत उत्सव में आपकी बचत बढ़ेगी और आप अपनी पसंद की चीजों को और ज्यादा आसानी से खरीद पाएंगे. हमारे देश के गरीब, मध्यम वर्गीय लोग, न्यू मिडिल क्लास, युवा, किसान, महिलाएं, दुकानदार, व्यापारी, उद्यमी, सभी को ये बचत उत्सव का बहुत फायदा होगा. यानी त्योहारों के इस मौसम में सबका मुंह मीठा होगा.

अब देश के हर परिवार की बढ़ेंगी खुशियां

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अब देश के हर परिवार की खुशियां बढ़ेंगी. मैं देश के कोटि-कोटि परिवारजनों को नेक्सट जेन जीएसटी रिफॉर्म्स की बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं. ये बदलाव भारत की ग्रोथ स्टोरी को आगे बढ़ाएंगे. कारोबार को और आसान बनाएंगे. निवेश को और आकर्षक बनाएंगे और हर राज्य को विकास की दौड़ में बराबरी का साथी बनाएंगे. साथियों जब साल 2017 में जीएसटी रिफॉर्म्स की तरफ कदम बढ़ाया था, तब नया इतिहास रचने की शुरुआत हुई थी. आप सभी लोगों को देश के व्यापारी, अलग-अलग टैक्स के जाल में उलझे हुए थे. एंट्री टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज, वैट, सर्विस टैक्स न जाने भांति-भांति के दर्जनों टैक्स देश में थे.

अपने संबोधन में उनहोंने आगे कहा, अलग-अलग जगहों पर माल भेजना हो तो पता नहीं कितने चेक पोस्ट पार करने पड़ते थे, कितने फॉर्म भरने पड़ते थे. हर जगह टैक्स के अलग-अलग नियम थे. जब 2014 में देश ने मुझे प्रधानमंत्री पद का दायित्व सौंपा था, तब एक विदेशी अखबार में एक दिलचस्प उदाहरण छपा था. उसमें एक कंपनी की मुश्किलों का जिक्र था. उस कंपनी ने कहा था कि अगर उसे बंगलूरू से 570 किलोमीटर दूर हैदराबाद अपना सामान भेजना हो तो वो इतना कठिन था कि उन्होंने सोचा और कहा कि वो पसंद करती थी कंपनी कि पहले अपना सामान बंगलूरू से यूरोप भेजें और फिर वही सामान यूरोप से हैदराबाद भेजें. साथियों टैक्स और टोल के जंजाल से ये तबके हालात थे. और मैं आपको सिर्फ एक पुराना उदाहरण याद दिला रहा हूं. तब लाखों कंपनियों और देशवासियों को अलग-अलग तरह के टैक्स के जाल की वजह से रोज परेशानी होती थी. सामान को एक शहर से दूरे शहर पहुंचने के बीच जो खर्च बढ़ता था, वो खर्च भी गरीब को उठाना पड़ता था. वो खर्च ग्राहकों को उठाना पड़ता था. देश को इस से निकालना जरूरी था.

‘हर राज्यों की हर शंका का किया निवारण’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब आपने हमें 2014 में मौका दिया तो हमने जीएसटी को अपनी प्राथमिकता बनाया. हमने हर राज्यों की हर शंका का निवारण किया. हर सवाल का समाधान खोजा. सभी राज्यों को साथ लेकर आजाद भारत का इतना बड़ा टैक्स सुधार संभव हो पाया. ये केंद्र और राज्यों के प्रयासों का नतीजा था कि देश दर्जनों टैक्स के जाल से मुक्त हो गया. अब पूरे देश के लिए एक जैसी व्यवस्था बनी है. वन नेशन, वन टैक्स का सपना साकार हुआ. साथियों रिफॉर्म एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया होती है. जब समय बदलता है, देश की जरूरत बदलती है तो नेक्सट जेन रिफॉर्म्स भी उतने ही आवश्यक होते हैं. वर्तमान जरूरतों और भविष्य को देखते हुए जीएसटी के नए सुधार लागू हो रहे हैं. अब सिर्फ 5 फीसदी और 18 फीसदी के ही टैक्स स्लैब रहेंगे. यानी रोजमर्रा के इस्तेमाल की ज्यादा सस्ती हो जाएंगे. खाने-पीने का सामान, दवाइयां, ब्रश-पेस्ट, बीमा. ऐसे ज्यादातर सामान पर या तो टैक्स शून्य होगा या 5 फीसदी टैक्स होगा. जिन सामानों पर पहले 12 फीसदी टैक्स लगता था, उनमें से करीब 99 फीसदी चीजें अब पांच फीसदी टैक्स के दायरे में हैं.

GST रिफॉर्म: त्योहारी सीजन का ‘उपहार’

पीएम मोदी के संबोधन की मुख्य घोषणा जीएसटी की नई दरों पर थी, जिसे त्योहारी सीजन का ‘उपहार’ बताया गया. उनहोंने कहा कि ये सुधार व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था में गति आएगी. उन्होंने अमेरिकी टैरिफ चुनौतियों का जिक्र करते हुए जोर दिया कि भारत को विदेशी निर्भरता से मुक्त होना होगा. पीएम ने कहा, “140 करोड़ भारतीयों का भविष्य किसी और के हाथों में नहीं सौंपा जा सकता.,”

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