आपदा के समय संकट मोचक बनते हैं NDRF के चार विंग, जानिए तबाही में बचाव के ‘फरिशते की कहानी’

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NDR DG OP Singh: आपने प्राकृतिक और मानव निर्मित कई आपदाएं देखी होंगी. आपदा की खबरें और वीडियो डरा देने वाले होते हैं. आपदा के आगोश में न जाने कितनी जिंदगियां समा जाती हैं. इन विकट परिस्थितियों में आपदा से दो दो हाथ करने NDRF के जांबाज बिना किसी देरी के फरिश्ते बनकर मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने पहुंचते हैं. इस दौरान उनकी जान को भी खतरा होता है, लेकिन अपनी जान की परवाह किए बगैर वह पीड़ितों की मदद करते हैं. आइए आपको खास रिपोर्ट के माध्यम से बताते हैं आपदा के फरिश्तों के मदद की कहानी.

आपको बता दें कि इसको लेकर आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) ने एक रिसर्च किया है, जिसमें बताया गया है कि एक खास फॉर्मूले से आपदा के समय पीड़ित लोगों की मदद की गई. साथ ही कब कब भारत के अलग-अलग इलाकों में आपादा आई और एनडीआरएफ ने किस तरह राहत बचाव कार्य किया. दरअसल खबर में जिस खास फॉर्मूले की बात की गई है. वह यूपी कैडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह ने दिया. इससे NDRF को पहले से कहीं बेहतर बनाने में ताकत मिली. बता दें कि आईपीएस ओपी सिंह के कार्यकाल के दौरान कैसे NDRF के जुड़ाव को बढ़ावा मिला. साथ ही आम जनता में जागरूकता बढ़ाने और प्रभावी एक्शन करने पर काम किया गया. आइए प्रोफेसर महिम सागर और दीप श्री की खास रिपोर्ट से जानते हैं पूरा मामला.

दरअसल, NDRF की टीम आपदा की स्थिति में बहुत कम समय में पूरी स्थिति पर नियंत्रण कर लेती है. इन सब के पीछे पूरा प्लान होता है और उस प्लान को बनाने वालों में एक नाम है आईपीएस ओपी सिंह जो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के डीजीपी रह चुके हैं. बता दें कि आईपीएस ओपी सिंह एनडीआरफ के डीजी भी रह चुके हैं. इस दौरान उनके नाम कई बड़ी उपलब्धियां भी हैं.

NDRF में डीजी रहे ओपी सिंह अपने कार्यकाल के दौरान साल 2014-16 में आई विभिन्न प्राकृतिक आपदा में प्रमुख सर्च ऑपरेशन और बचाव अभियानों का नेतृत्व किया. जम्मू और कश्मीर में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने राहत बचाव कार्य के लिए न सिर्फ सेना को सक्रिय किया, बल्कि वे स्थानीय लोगों और मीडिया के सहयोग से राहत बचाव कार्य कराया. वहीं, एनडीआरएफ के डीजी रहे ओपी सिंह ने नेपाल भूकंप के दौरान उत्कृष्ट शहरी खोज और बचाव कार्य किया. इसके लिए वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र और नेपाल सरकार ने उनकी सराहना भी की.

साल 2015 में जब चेन्नई में बाढ़ आई, तब भी उन्होंने राहत बचाव अभियान का हिस्सा बनकर लोगों को क्विक रिलिफ पहुंचाया. उस अभियान का हिस्सा होने का भी उन्हें गर्व है. उस समय उनकी निगरानी में एनडीआरएफ के हजारों जवानों ने सैकड़ों जिंदगियां बचाईं थीं.

खास प्लान का 30 मिलियन लोगों को मिला लाभ
आपको बता दें कि आईपीएस ओपी सिंह ने लगभग 148 मिलियन डॉलर के बजट का एलोकेशन किया. इसके बाद आपदा प्रबंधन के तहत राहत बचाव के लिए 8 प्रमुख आपदा एक्शन प्लान बनाए गए और उन्हें क्रियान्वित भी किया गया. इस क्विक रिलिफ एक्शन प्लान का लाभ भारत और नेपाल में तकरीबन 30 मिलियन से अधिक लोगों को मिला.

एनडीआरएफ के डीजी रहे ओपी सिंह प्रतिक्रिया बल के प्रमुख के रूप में भी आपदा प्रबंधन योजना को परिष्कृत करने, विभिन्न लाभार्थियों की क्षमता निर्माण के विकास और SAADMEx 2015 के संचालन में योगदान दिया. जिसमें सार्क देशों ने भी हिस्सा लिया.

इन कार्यों के लिए हुए सम्मानित
एनडीआरएफ में डीजी रहने के दौरान ओपी सिंह को उनके कार्यकाल के दौरान भारत सरकार द्वारा कई बार सम्मानित किया गया. इन्हें आपदा प्रतिक्रिया पदक, वीरता के लिए भारतीय पुलिस पदक, सराहनीय सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक, पुलिस विशेष कर्तव्य पदक और विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है.

जानिए कब हुआ था NDRF का गठन
आपको बता दें कि 26 दिसंबर 2005 को आपदा मोचन एक्ट के आधार पर NDRFयानी नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी बनाई गई, जो प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के समय राहत बचाव कार्य करने में ट्रेंड है और खास तकनीकी साजो समान से लैस है. साल 2006 में आठ बटालियनों के साथ एनडीआरएफ को गठित किया गया. फिलहाल, एनडीआरएफ की 16 बटालियन हैं. लगभग 5 साल पहले इसकी क्षमता केवल 12 बटालियन की थी. बता दें कि हर बटालियन में 1149 जवान रहते हैं.

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