Supreme Court के इस फैसले से यूपी में 2 लाख सरकारी शिक्षकों पर नौकरी जाने का बढ़ा खतरा..!देखें क्या बदले हैं नियम?

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Lucknow: देश भर में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के नौकरी पर अब संकट खडा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को अपना फैसला सुनाया था, जिसके तहत अब सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को 2 साल के अंदर टीईटी (TET) यानी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा. अगर कोई शिक्षक 2 साल में TET पास नहीं कर पाया तो उसकी सरकारी नौकरी जा सकती है.

अब्दुल राशिद को मृतक आश्रित के तहत मिली थी शिक्षक की नौकरी

बता दें कि उत्तर प्रदेश में करीब 2 लाख शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें यह आदेश सीधे प्रभावित करेगा. पूरे देश में यह आंकड़ा लगभग 10 लाख तक पहुंच सकता है. अब इस नियम के बाद कई चौंकाने वाले मामले आने लगे हैं. 1992 में अब्दुल राशिद को मृतक आश्रित के तहत शिक्षक की नौकरी मिली थी. उस समय शिक्षक बनने के लिए केवल 12वीं पास होना ही काफी था. अब वे 53 साल के हैं. अब तक उन्होंने ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं किया है. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी तरह लाखों पुराने शिक्षक खतरे में हैं, क्योंकि TET देने के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है.

दोबारा पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी आसान नहीं

पुराने बहुत सारे शिक्षक ग्रेजुएट नहीं हैं और जिनकी उम्र 50 से ऊपर हो गई है, उनके लिए दोबारा पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी आसान नहीं है. कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को एक याचिका पर फैसला सुनाया जो महाराष्ट्र और तमिलनाडु के शिक्षकों से जुड़ी थी. इसमें कहा गया कि जिन शिक्षकों की नौकरी को अभी 5 साल से ज्यादा बची है, उन्हें 2 साल के अंदर TET पास करना अनिवार्य होगा. अगर वे पास नहीं कर पाए तो या तो इस्तीफा दें या उन्हें जबरन रिटायर कर दिया जाएगा.

अल्पसंख्यक संस्थानों पर ये नियम लागू होगा या नहीं?

कोर्ट ने ये भी कहा कि अल्पसंख्यक संस्थानों पर ये नियम लागू होगा या नहीं, इसका फैसला बड़ी बेंच करेगी. अमेठी के 12वीं पास शिक्षक अब्दुल राशिद अब 53 साल के हो गए हैं. अब्दुल राशिद का कहना है कि 1992 में पिता की मौत के बाद मुझे मृतक आश्रित के तहत नौकरी मिली. उस समय 12वीं पास ही काफी था. अब मुझसे कहा जा रहा है कि मैं ग्रेजुएशन करूं और फिर TET पास करूं, जो बिना ग्रेजुएशन के हो ही नहीं सकता. 30 साल से पढ़ा रहे हैं. अब उम्र भी हो गई है. पढ़ाई की आदत नहीं रही. इतनी जल्दी परीक्षा पास करना बहुत मुश्किल है.

अब 18 साल बाद थोपे जा रहे हैं नए नियम

सीतापुर में  विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षक संदीप यादव का कहना है कि मैं 2007 में शिक्षक बना था. उस समय सभी योग्यताएं पूरी की थीं. अब 18 साल बाद नए नियम थोपे जा रहे हैं. सरकार ने 2017 में नियम बदले लेकिन हमें कोई सूचना नहीं दी. अब दो साल में परीक्षा देने को कहा जा रहा है. टीचर पढ़ाते वक्त खुद अपनी परीक्षा की टेंशन में रहेगा तो बच्चों को क्या पढ़ा पाएगा?

सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश के शिक्षकों पर लागू कर दिया आदेश

मेरठ में शिक्षक और शिक्षा मामलों के एक्टिविस्ट हिमांशु राणा ने बताया कि जो मामला कोर्ट में गया वह सिर्फ महाराष्ट्र और तमिलनाडु के अल्पसंख्यक संस्थानों से जुड़ा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश के शिक्षकों पर आदेश लागू कर दिया. 2017 में केंद्र ने नोटिस भेजा कि सभी शिक्षक 2019 तक TET पास करें, लेकिन राज्यों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. अब दोष शिक्षकों पर मढ़ा जा रहा है.

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