Varanasi: रामनगरी में दीपोत्सव और अब काशी में देव दीपावली, इन दोनों भव्य आयोजनों को नया स्वरूप देकर योगी सरकार ने कुम्हारों की मिट्टी में मूल्य और सम्मान की चमक भर दी है. पहले जहां कुम्हार अपने हाथों के हुनर को साबित करने के लिए भटकते थे, वहीं आज उनके बनाए दीये पहले से आर्डर के साथ हाथों-हाथ बिक रहे हैं.
योगी सरकार में यह बदलाव केवल रोशनी का नहीं, बल्कि कुम्हार के घरों में ढलते अंधेरे को दूर करने वाला है. देव दीपावली पर घाटों और पर सरकार द्वारा 10 लाख और जन सहभागिता से लाखो दिए जगमगाएंगे.
2017 के बाद का सुनहरा सफर
2017 में जब योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली, तभी से काशी की देव दीपावली लोकल से ग्लोबल हो गई. घाटों, कुंडों और तालाबों पर लाखों दीयों की चमक ने न केवल सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर चमकाया, बल्कि कुम्हारों को राजाश्रय भी प्रदान किया. सरकार ने कुम्हारों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा हैं, प्रशिक्षण दिया गया, इलेक्ट्रिक चाक उपलब्ध कराया, सरकारी खरीद के तहत उनके दीयों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे कुम्हारों की चाक की रफ्तार बढ़ रही है.
योगी सरकार ने कुम्हारों के चाक को गति देकर सनातन की ज्योति को अमर कर दिया. यह उजाला केवल काशी के घाटों तक नहीं, बल्कि कुम्हारों के घरों, उनके सपनों और उनकी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच रहा है.
9 गांव के 350 से अधिक कुम्हार बना रहे दीये
दीयों की सप्लाई करने वाले सार्क मल्टीमीडिया के सौरभ सिंह ने बताया कि वाराणसी के 9 गॉव हरिहरपुर, गहनी, जयपारऊदी, पलईपट्टी रसूलपुर, मुर्दहा, राजा तालाब, शिवपुर, पलिया प्रयागपुर के लगभग 400 से अधिक कुम्हार मिट्टी को दीयों का आकार दे रहे हैं, जो आग में तपने के बाद उनके लिए सोना हो जाता है. एक गांव से लगभग 8 से 9 परिवार देव दीपावली के लिए दीये बना रहा है.
एक साथ 10 लाख दीये 3 से 4 घंटे तक जलेंगे
सरकार की और से 10 लाख दीये जलाए जाएंगे। इन दीयो को जलाने के लिए लगभग 25 से 30 हज़ार लीटर तेल और बीस लाख बत्ती का आर्डर है. एक साथ सभी दिए लगभग 3 से 4 घंटे तक घाटों कुंडो और तालाबों को रोशन करेंगे.
कुम्हार मोनू प्रजापति ने बताया कि योगी सरकार ने हमारे घरों में नई रोशनी भर दी है. समय पर दीये तैयार करने के लिए पूरा परिवार लग जाता है. दीपावली और देव दीपावली के समय कुम्हारों के परिवारों की कमाई लगभग 4 से 5 हजार रुपये तक होती थी, अब ये आमदनी बढ़कर लगभग 20 से 25 हजार रुपये तक की हो गई है. इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है बल्कि पारंपरिक कला और संस्कृति को भी नया जीवन मिला है.
मूलचंद प्रजापति ने बताया कि योगी सरकार के पहले हमारी आमदनी बहुत सीमित थी. दीपावली और देव दीपावली के बाद काम मंदा हो जाता था, जिससे गुज़ारा करना मुश्किल होता था. लेकिन अब सरकार की योजनाओं और प्रोत्साहन से हमें लगातार काम मिल रहा है. सालभर दीये, कुल्हड़ और अन्य मिट्टी के सामान बनाने के ऑर्डर मिलते रहते हैं. इससे हमारे घर की आर्थिक स्थिति काफी सुधरी है.
दीपक प्रजापति ने बताया कि योगी सरकार ने देव दीपावली को भव्य उत्सव का रूप दे दिया है. इस उत्सव की चमक अब हम जैसे छोटे कुम्हारों के घरों तक पहुंच गई है। इसकी थोड़ी सी रोशनी ने हमारे जीवन में भी उजाला भर दिया है. दीपावली और देव दीपावली के समय हमें पर्याप्त काम मिल जाता है, जिससे हमारी आमदनी बढ़ी है और घर की खुशियां भी लौट आई हैं.
दीयों की बत्ती बनाने वाले विक्रम उपाध्याय ने बताया कि सरकार द्वारा लाखों दीयो के आर्डर मिलने के साथ कई परिवार को बत्ती बनाने का काम मिल जाता है, दीयों में जलने वाली बत्ती की लय से हम लोग के घरों में आर्थिक समृद्धि की रोशनी बढ़ रही है.

