Uttarakhand: एक तरफ झुका बदरीनाथ-केदारनाथ के बीच स्थित ऐतिहासिक मंदिर, भक्त चिंतित

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Gopinath Temple: उत्‍तराखंड से आस्था से जुड़ी एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है. यहां के सीमांत जनपद चमोली के मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित भगवान गोपीनाथ मंदिर के एक तरफ झुकने की बात सामने आ रही है. इसके साथ ही गर्भ गृह में पानी भी टपक रहा है। इससे मंदिर में आस्था रखने वाले लोगों में चिंता व्याप्त हो गया है. मंदिर के पुजारियों और हकहकूक धारियों ने मंदिर के झुकने और क्षतिग्रस्त होने की सूचना जिला प्रशासन के साथ ही पुरातत्व विभाग को दी है.

मालूम हो कि बदरीनाथ और केदारनाथ की केंद्र बिंदु में स्थित भगवान रुद्रनाथ की शीतकालीन गद्दी गोपीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. पौराणिक काल से ही यह मंदिर अपने निर्माण शैली को लेकर विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है. ऐसी मान्यता है कि नागर शैली में निर्मित यह मंदिर कत्यूरी राजाओं द्वारा बनाया गया है.

पुरातत्व विभाग करता है मंदिर का संरक्षण
पहले से मंदिर की व्यवस्था स्थानीय हक-हकूकधारियों के पास थी. मंदिर अलग-अलग जगह से क्षतिग्रस्त होने लगा था, इसके बाद पुरातत्व विभाग के अधीन होने के बाद अब इसका संरक्षण पुरातत्व विभाग करता है. मंदिर के पुजारी हरीश भट्ट बताते हैं कि यह मंदिर उत्तर-भारत के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है.

इस मंदिर से जुड़ी हुई कई धार्मिक कथाएं हैं. हर वर्ष हजारों भक्त भगवान शिव के दर्शनों के लिए यहां पर आते हैं, लेकिन मंदिर के झुकाव और अलग-अलग जगहों पर दरारों को देखते हुए पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन को मंदिर को लेकर गंभीरता से सोचना होगा और इस मंदिर के संरक्षण को लेकर कार्य योजना तैयार करनी होगी.

मंदिर की इस स्थिति से भक्त चिंतित
आराध्य देव भगवान शिव के मंदिर की यह स्थिति देखकर भक्त चिंतित हैं. एक स्थानीय निवासी ने बताया कि जिला मुख्यालय गोपेश्वर में शिक्षा स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों ने गोपेश्वर में घर बनाए हैं. ऐसे में लगातार जनसंख्या बढ़ने के बाद ड्रेनेज सिस्टम अव्यवस्थित हो गया है, जिस पर जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है.

सही ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के चलते गोपेश्वर के अलग-अलग हिस्से भूस्खलन की चपेट में है और अब इसका प्रभाव अब गोपीनाथ मंदिर के आसपास भी पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि गोपीनाथ मंदिर लाखों लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है. इस धरोहर को बचाए रखने के लिए शासन-प्रशासन पुरातत्व विभाग को गंभीरता से सोचते हुए इस मंदिर के संरक्षण के लिए कार्य करना चाहिए, ताकि लोगों की धार्मिक भावनाएं और आस्था बनी रहे.

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