BIMSTEC देशों ने ‘भारत मंडपम’ में मिलाया सुर और ताल का संगम, पश्चिमी देशों को दिया बड़ा ‘संदेश’

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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BIMSTEC countries: भारत की राजधानी दिल्ली में 4 अगस्‍त से आयोजित बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव ‘सप्तसुर’ केवल एक सांस्कृतिक आयोजन भर नहीं था, बल्कि यह आयोजन भारत की उभरती हुई बहुपक्षीय कूटनीतिक दृष्टि, क्षेत्रीय नेतृत्व और सांस्कृतिक रणनीति का एक सशक्त प्रदर्शन था. इसी बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उद्घाटन भाषण ने इस आयोजन को केवल सुर और ताल के उत्सव से कहीं आगे, नई वैश्विक व्यवस्था की खोज का मंच बना दिया.

बता दें कि यह बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग उपक्रम) देशों का पहला बड़े स्तर का सांस्कृतिक आयोजन था. यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में किए गए वादे को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.

क्‍या है इस महोत्‍सव का उद्देश्‍य?

दरअसल, इस आयोजन के जरिए भारत ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में लोगों के बीच आपसी संपर्क को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया. इस महोत्सव का उद्देश्य बिम्सटेक देशों की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना और उसका उत्सव मनाना था. इस कार्यक्रम में बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड से पारंपरिक संगीतकार शामिल हुए.

संस्कृति और परंपरा किसी भी देश की पहचान के अहम स्‍तंभ

कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान विदेश मंत्री ड़ा एस जयशंकर ने अपने भाषण के दौरान क्षेत्रीय सहयोग में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के महत्व को रेखांकित किया. उन्‍होंने कहा कि संस्कृति और परंपरा किसी भी देश की पहचान के अहम स्तंभ होते हैं और यह क्षेत्रीय एकता, संवाद और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

पारंपरिक संगीत कार्यक्रमों को देखना अद्भुत

भारतीय विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ‘सप्त-सुर’ की एक समृद्ध शाम! ‘बिम्सटेक’ देशों के पारंपरिक संगीत कार्यक्रमों को देखना अद्भुत था.  इस वर्ष ‘बिम्सटेक’ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई प्रतिबद्धता के तहत, यह संगीत महोत्सव हमारी साझा सांस्कृतिक परंपराओं और जीवंत संबंधों को और मजबूत करेगा. ”

दरअसल, यह संगीत महोत्सव बिम्सटेक देशों के बीच प्राचीन, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की याद दिलाता है, जो आज भी इन देशों को एकजुट करते हैं. कार्यक्रम ने एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहां कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया.

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