‘चाहे मैं कितनी भी कर लूं… नोबेल पुरस्कार…’ कांगो-रवांडा पीस डील के बाद छलका ट्रंप का दर्द

Donald Trump On Nobel Peace Prize: डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) और रवांडा के बीच चल रहे तनाव को खत्म करने की दिशा में कदम उठाते हुए शुरूआती समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है. यह समझौता अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में हुआ है. समझौते में अपनी अहम भूमिका का दावा करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीद जताई है. उन्होंने तंज कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि उन्हें इस समझौते के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की संभावना नहीं है,लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लोगों को पता है और बस यही मेरे लिए मायने रखता है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ट्रंप का योगदान

डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट पर कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का हवाला दिया, जिनमें वे अपने योगदान का दावा करते हैं. उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा गणराज्य के बीच संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने, सर्बिया और कोसोवो के बीच युद्ध रोकने, मिस्र और इथियोपिया के बीच शांति बनाए रखने और इजरायल और अरब देशों के बीच शांति समझौता (अब्राहम समझौता) के लिए शांति पुरस्कार मिलने की बात कही. ट्रंप ने कहा इन सभी प्रयासों के बावजूद नोबेल समिति ने उन्हें नजरअंदाज किया, लेकिन लोग जानते हैं और यही मेरे लिए मायने रखता है.

ट्रंप ने आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में कराया लंच

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पाकिस्तानी आर्मी जनरल आसिम मुनीर से व्हाइट हाउस में लंच पर मुलाकात की थी, जो एक चर्चा का विषय था. ये भारत-पाकिस्तानी युद्ध के सीजफायर के बाद पहली बार था, जब ट्रंप ने किसी बड़े पाकिस्तानी अधिकारी से मुलाकात की थी. हालांकि, मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध विराम में आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपसी समझदारी काम आई थी.

रवांडा और कांगो समझौता

अमेरिका के प्रयास से रवांडा और कांगो समझौते के लिए तैयार हुए. अमेरिका ने लगातार तीन दिनों तक दोनों देशों के साथ बातचीत कर समझौता करवाने का प्रयास किया, जिसके बाद बुधवार की देर रात को दोनों देशों ने वॉशिंगटन डीसी में एक ड्राफ्ट समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के मुख्य बिंदुओं में हथियारों का इस्तेमाल न करना, नॉन-स्टेट आर्म्ड ग्रुप्स को खत्म करना और शरणार्थियों और आंतरिक प्रवासियों को वापस उनके देश भेजना शामिल है.

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