US News: अमेरिका की संघीय अदालत ने ट्रंप प्रशासन को बड़ा झटका दिया है. गुरुवार को न्यायाधीश ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना को रोक दिया, जिसके तहत मध्य अमेरिका और एशिया के लगभग 60 हजार लोगों के अस्थायी संरक्षित दर्जे (TPS) को समाप्त किया जाना था. इसमें नेपाल, होंडुरास और निकारागुआ के नागरिक शामिल हैं.
क्या है टीपीएस?
टीपीएस एक ऐसा कानूनी दर्जा है, जिसे अमेरिकी गृह सुरक्षा सचिव उन विदेशी नागरिकों को प्रदान कर सकते हैं, जिनके देश प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक अस्थिरता या अन्य खतरनाक परिस्थितियों के वजह से असुरक्षित माने जाते हैं. यह दर्जा लोगों को निर्वासन से बचाता है और उन्हें अमेरिका में काम करने की परमिशन देता है. गृह सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने हाल ही में होंडुरास और निकारागुआ के हजारों लोगों के टीपीएस को यह कहते हुए समाप्त करने का निर्णय लिया कि उनके देशों की स्थिति अब सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि ये देश 1998 के घातक तूफान “मिच” से बहुत हद तक उबर चुके हैं.
होंडुरास के 51 हजार और नेपाल के 7 हजार लोग
नेपाल के लगभग 7 हजार लोगों के लिए TPS की अवधि 5 अगस्त को समाप्त होने वाली थी, जबकि होंडुरास के 51 हजार और निकारागुआ के लगभग 3 हजार नागरिकों की सुरक्षा 8 सितंबर को समाप्त होने वाली थी. हालांकि अमेरिकी जिला न्यायाधीश ट्रिना एल. थॉम्पसन ने सैन फ्रांसिस्को में सुनवाई करते हुए इन प्रावधानों को समाप्त करने की योजना को खारिज कर दिया और मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की. जस्टिस ट्रिना एल. थॉम्पसन ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप प्रशासन ने देश की वास्तविक परिस्थितियों जैसे होंडुरास में राजनीतिक हिंसा और निकारागुआ में हालिया तूफानों के प्रभावों का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन किए बिना यह निर्णय लिया.
न्यायाधीश ने दिया ये आदेश
जस्टिस थॉम्पसन ने चेताया कि अगर TPS समाप्त होता है तो हजारों लोग नौकरी, स्वास्थ्य बीमा और परिवारों से बिछड़ने जैसे संकटों का सामना करेंगे, साथ ही उन्हें उन देशों में भेजा जाएगा, जहां अब उनका कोई जुड़ाव नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि इन लोगों को निष्कासित करने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 1.4 अरब डॉलर का नुकसान होगा. थॉम्पसन ने तीखे शब्दों में कहा, “इन याचिकाकर्ताओं की मांग बस इतनी है कि वे स्वतंत्र रूप से बिना डर के जी सकें और अमेरिकी सपने को साकार कर सकें. लेकिन उन्हें उनके रंग, नाम और नस्ल के वजह से देश छोड़ने को कहा जा रहा है.”
टीपीएस के वकीलों ने की क्या थी अपील
टीपीएस के वकीलों ने तर्क दिया कि यह निर्णय ट्रंप की चुनावी रणनीति और नस्लीय पूर्वाग्रह से प्रेरित था. थॉम्पसन ने सहमति जताई और कहा कि ट्रंप और नोएम के बयानों में यह भावना झलकती है कि कुछ खास नस्लीय समुदाय ‘श्वेत आबादी’ की जगह ले रहे हैं. उन्होंने लिखा, “रंग कोई ज़हर नहीं और न ही कोई अपराध है.” होंडुरास के विदेश मंत्री ने इस फैसले को अच्छी खबर बताते हुए कहा कि सरकार अमेरिका में रह रहे होंडुरास के नागरिकों का सपोर्ट करती रहेगी.
निकारगुआ में हजारों लोगों ने छोड़ा देश
इसी बीच निकारागुआ में मानवाधिकार उल्लंघनों, राजनीतिक दमन और एनजीओ पर प्रतिबंधों के वजह से हजारों लोग देश छोड़कर जा चुके हैं. यह केस ट्रंप प्रशासन की व्यापक आव्रजन नीति का हिस्सा है, जो अमेरिका में रह रहे प्रवासियों की सुरक्षा को समाप्त कर उन्हें निर्वासित करने की दिशा में काम कर रही है.
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