अमेरिका में कंपनियों ने घरेलू कर्मचारियों को निकाला, विदेशी प्रोफेशनल्स को किया भर्ती, जांच की मांग

Washington: अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां घरेलू कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही हैं जबकि वे हजारों विदेशी प्रोफेशनल्स को भर्ती कर रही हैं. ऐसे में अमेरिका में ट्रंप सरकार से एच-1बी वीजा के कमर्शियल इस्तेमाल की संघीय जांच तेज करने की अपील की गई है. ​​अमेरिकी वरिष्ठ सीनेटर रूबेन गैलेगो ने श्रमिक सचिव लोरी शावेज-डेरेमर, अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के डायरेक्टर जोसेफ एडलो और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को इस संबंध में एक पत्र लिखा है.

अमेरिकी कर्मचारियों के हित प्रभावित न हों

गैलेगो ने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि हाई स्किल्ड इमिग्रेशन को इस तरह से आगे बढ़ाया जाना चाहिए जिससे आर्थिक विकास तो हो लेकिन अमेरिकी कर्मचारियों के हित प्रभावित न हों. उन्होंने कहा कि हाल के बड़े पैमाने पर छंटनी और उसी दौरान कंपनियों द्वारा लगातार एच-1बी वीजाधारकों की भर्ती ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर बड़ी कंपनियां इस प्रोग्राम का इस्तेमाल किस तरह और किस उद्देश्य से कर रही हैं.

कम आंकने या उनकी जगह लेने के लिए न किया जाए

गैलेगो ने लिखा कि हाई स्किल्ड इमिग्रेशन प्रोग्राम जब सही तरीके से लागू किए जाते हैं तो यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं जिससे अमेरिकी कर्मचारियों के लिए अच्छी सैलरी वाली नौकरियां बनती हैं. साथ ही हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे कार्यक्रम का इस्तेमाल अमेरिकी कर्मचारियों को कम आंकने या उनकी जगह लेने के लिए न किया जाए. इंटरनल डाटा और फेडरल रिसर्च का हवाला देते हुए गैलेगो ने कहा कि बड़ी तकनीकी कंपनियों ने लाखों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.

कर्मचारियों को नौकरी पर रखने की मंजूरी

वित्तीय वर्ष 2025 में इन्हीं कंपनियों को 30,000 से ज्यादा विदेशी एच-1बी कर्मचारियों को नौकरी पर रखने की मंजूरी दी गई थी. उन्होंने कहा कि अमेरिकी युवा कर्मचारियों में बेरोजगारी अभी भी ज्यादा है जबकि कंपनी मालिक विदेशी भर्तियों के लिए वीजा अर्जी देना जारी रखे हुए हैं. एजेंसियों को तुरंत इसकी समीक्षा करनी चाहिए. सीनेटर ने बड़ी अमेरिकी कंपनियों में सबसे कम उम्र के कर्मचारियों की संख्या में भारी गिरावट की ओर इशारा किया. कहा कि जनवरी 2023 में 21 से 25 साल के कर्मचारी कुल वर्कफोर्स का 15 फीसदी थे. जुलाई 2025 तक यह संख्या घटकर 6.7 फीसदी हो गई थी.

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