महिलाओं के लिए ये अपमान जनक शब्द कानून की किताब से हो जाएंगे गायब, SC ने बदले वेश्यावृत्ति जैसे 40 शब्द

Must Read

Supreme Court CJI DY Chandrachud: कोर्ट में सुनवाई के दौरान पहले कानूनी दलीलों और फैसलों में कुछ महिलाओं को प्रॉस्टिट्यूट, हूकर और म‍िस्‍ट्रेस जैसे न जाने कौन कौन से शब्दों को सुनना पड़ता था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस नए फैसले के बाद से ऐसा नहीं होगा. दरअसल, न्‍याय‍िक फैसलों में लैंग‍िक रूढ़िवाद‍िता को समाप्त करने के ल‍िए, सुप्रीम कोर्ट ने एक नई हैंडबुक ‘लैंगिक रूढ़िवादिता का मुकाबला’ को लॉन्‍च किया है. इसमें कानूनी दलीलों और फैसलों में महिलाओं के प्रति इस्तेमाल किए जाने वाले अपमान जनक शब्द जैसे प्रॉस्टिट्यूट, हूकर और म‍िस्‍ट्रेस इत्यादि शब्दों को सुप्रीम कोर्ट की हैंडबुक से हटा द‍िया गया है.

आपको बता दें कि इस नई हैंडबुक में जिस शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है, उसको कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार किया गया है. बता दें कि समिति में जस्टिस गीता मित्तल, प्रोफेसर झूमा सेन और रिटायर्ड जस्टिस प्रभा श्रीदेवन भी शामिल थीं.

सुप्रीम कोर्ट ने अनजाने में किया रूढ़िवादिता का इस्तेमाल
इस नई हैंडबुक के बारे में बात करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा, “ये शब्द अनुचित हैं और अतीत में जजों द्वारा इसका इस्तेमाल किया गया है. हैंडबुक का इरादा आलोचना करना या निर्णयों पर संदेह करना नहीं है, बल्कि केवल यह दिखाना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिता का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस नई हैंडबुक के लॉन्‍च होने के बाद से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए यह हैंडबुक लॉन्च की गई है.”

इसके आगे उन्होंने कहा कि इस हैंडबुक में आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द और वाक्य बताए गए हैं. इन्हें कोर्ट में दलीलें देने, आदेश देने और उसकी कॉपी तैयार करने में यूज किया जा सकता है. यह हैंडबुक वकीलों के साथ-साथ जजों के लिए भी है.

शब्द कैसे बिगाड़ सकते हैं कानून
हैंडबुक में शामिल शब्दों पर बात करते हुए CJI ने कहा, “इस हैंडबुक को तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिता की परंपरा चली आ रही है. कोर्ट का उद्देश्य यह बताना है कि रूढ़िवादिता क्या है और इससे क्या नुकसान है. ताकि कोर्ट महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल से बच सकें. इसे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें-

New Noida: इन गावों को मिलाकर बनाया जाएगा नया शहर, जानिए योगी सरकार का मास्टर प्लान

Latest News

Varanasi: ट्रैफिक जाम से मिलेगी राहत! काशी में तैयार हो रहा भारत का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे

वाराणसी में देश का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे बन रहा है, जो न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि दिव्यांगजनों व महिलाओं के लिए भी सुविधाजनक होगा.

More Articles Like This