जहां सत प्रकाशित नहीं हो रहा है, उसे हम कहते हैं असत: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिस प्रकार सूर्योदय और सूर्यास्त व्यवहार के शब्द हैं, इसी प्रकार आत्मा के सन्दर्भ में जन्म और मृत्यु व्यवहार के शब्द है। वास्तव में आत्मा के सन्दर्भ में जन्म और मृत्यु है ही नहीं। हम जन सामान्य लोग दो चीज को मानते हैं, प्रकाश और अंधकार। वास्तव में देखा जाये तो ये दो चीजें भी नहीं हैं।
तो क्या है? प्रकाश का होना और नहीं होना। प्रकाश नहीं है उसको हम अंधकार कहते हैं। प्रकाश और अंधकार दो चीज नहीं है। या तो प्रकाश है या तो प्रकाश नहीं है। उसी को हम अंधकार कहते हैं। जहां सत प्रकाशित नहीं हो रहा है उसे हम असत कहते हैं। लेकिन जिस प्रकार अंधकार का अस्तित्व नहीं है ऐसे ही असत् का भी अस्तित्व नहीं है।
ज्ञान तो सत् है इसलिए नित्य है। इसलिए उसका अभाव नहीं है। वह अविनाशी है। आत्मा सत् वस्तु है। इसलिए उसका अभाव नहीं है। वह अविनाशी है, नित्य है और आत्मा का स्वरूप कैसा है? सत् चित्त-आनंद। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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