दुःखों के माध्यम से ही सुखों की महत्ता को समझा जा सकता है: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दुःख में छिपा सुख- एक अति धनवान व्यक्ति था। युवा एवं सुन्दर शरीर उसके लिये गौरव का विषय था। अचानक वह बीमार हो गया। मृत्यु द्वार पर दस्तक देने लगी। पीड़ा को उसने पहली बार भोगा था। आज तक उसके जीवन में सुख ही सुख था। उसके भीतर इस बात को लेकर गहरी उथल-पुथल मची हुई थी कि जीवन में मैं जब तक आनन्द-प्रमोद और सुख-सुविधा में लिप्त रहा, मैं स्वस्थ, तन्दुरुस्त, रहा, किन्तु जैसे ही मैंने धर्म पथ पर चलकर परोपकार करना शुरू किया त्यों ही मैं बीमार हो गया, ऐसा क्यों?
उसके मन में यह प्रश्न तूफान मचाता रहा।एक समय, एक पहुंचे हुए ज्ञानी संत महात्मा का उनके घर आगमन हुआ। उचित सत्कार के बाद उस व्यक्ति ने महात्मा के सामने अपने प्रश्न को रखा- महाराज! मैं जब तक आनंद-प्रमोद में लिप्त रहा, स्वस्थ था, सुखी रहा, किन्तु जैसे ही धर्म पथ पर चला हूं इस गंभीर बीमारी का शिकार होकर दुःख एवं पीड़ा सह रहा हूं, ऐसा किसलिये? महात्मा ज्ञानी थे। बोले अगर आप ऐसा मानते हैं कि धर्मपथ और आपके सत्कार्यों के कारण आपको दुःख मिला है,  तो आपसे बढ़कर सौभाग्यशाली और कोई नहीं है। यह दुःख ही आपका मार्ग प्रशस्त करेगा।
धीरे-धीरे रोग बढ़ता गया। परिवार में सब मानने लगे कि अब ये बचने वाला नहीं है। अचानक उस व्यक्ति के मन में अनेक प्रश्न उठने लगे। मैंने अपने जीवन में किसी का भला किया है? मैंने किसी को सुख पहुंचाया है? किसी के दुःखों में मदद कर सका हूं? मेरे जीवन से दुनियाँ को क्या फायदा हुआ है? मेरे जीवन की सार्थकता क्या है? आदि। जैसे-जैसे मन के भीतर प्रश्न उठते गये, सत्कार्यों की ओर उसके कदम तेजी से उठते गये। उसका मन पछतावा करने लगा।
उसकी आत्मा से यह संकल्प उठा कि अगर ईश्वर मुझे एक मौका और दे तो मैं यह कसर पूरी कर दूंगा। मैं अपने बाकी जीवन को सबको सुखी बनाने में और परोपकार में ही खर्च कर दूंगा। इसी वक्त उसे उस महापुरुष की बात याद आ गई कि दुःखों के माध्यम से ही सुखों की महत्ता को समझा जा सकता है। अतः हमें हंसते हुए दुःखों को सहना चाहिए। वे वेदना के बदले शक्ति का अर्क देंगे। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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