Bihar Election 2025 : बिहार निवासी दुनिया के किसी भी कोने में क्यूं न रह लें लेकिन वह छठ के दौरान अपने घर पहुंचने की हर मुमकिन कोशिश करता है. इस दौरान उसके रास्ते मे चाहे जितनी मुश्किलें आ जाएं कितने भी पैसे क्यूं न लग जाएं लेकिन एक बिहारी छठ के वो दो-चार दिन अपने घर ही गुजारना चाहता है. जानकारी के मुताबिक, इस बार बिहार के विधानसभा चुनाव में बिहारियों के इसी छठ प्रेम का फायदा उठाने की कोशिश में सब के सब जुटे हुए हैं.
इस दौरान लोगों का कहना है कि चुनाव आयोग के साथ सियासी दलों की कोशिश है कि जो बिहारी छठ में घर आए, वो उसे ही वोट देकर जाए और इस कोशिश में अभी तक की सबसे बड़ी बढ़त बीजेपी को मिलती हुई दिख रही है.
जानकारी के मुताबिक, छठ के दौरान लोग भेड़-बकरियों की तरह एक-दूसरे से गुत्थमगुत्था होते हुए ट्रेन, बस, जीप, कार जो भी मिल जाए, उससे घर पहुंचने को बेकरार रहते हैं. इसके साथ ही इस भीड़ को देखते हुए कहा जा सकता है कि बिहार में परिवार के लिए दो रोटी का जुगाड़ भी तभी होगा, जब बिहार के लोग बिहार के बाहर किसी दूसरे राज्य में रोजगार करेंगे. लेकिन बिहार वालों का कहना है कि बिहार में सरकार तभी बनेगी, जब बिहार के बाहर रोजगार करने वाले लोग बिहार लौटकर वोट करेंगे.
चुनाव आयोग को लेकर बीजेपी का प्लान
इस चुनाव को लेकर इसकी जिम्मेदारी मिली है बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग और दुष्यंत गौतम को जो बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के साथ मिलकर उन परिवारों की पहचान कर रहे हैं, जो बिहार से बाहर हैं. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी नेताओं की ये टीम चुनाव का प्रचार बिहार में न करके देश के अलग-अलग राज्यों के उन जिलों में करेगी, जहां बिहार के ये वोटर मौजूद हैं.
बीजेपी ने सवालों की तैयार की लिस्ट
ऐसे में इस चुनाव को लेकर बीजेपी की कोशिश है कि उसके नेता कम से कम एक बार व्यक्तिगत तौर पर ऐसे वोटर से मुलाकात कर ले और इसके साथ ही फोन करके उन्हें बिहार आने और बीजेपी के लिए वोट करने को कहें. इस दौरान मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि बीजेपी ने बाकायदा सवालों की एक लिस्ट भी तैयार कर ली है और उन सवालों के जरिए बीजेपी समर्थकों की अलग से पहचान की भी कोशिश की जा रही है.
प्रवासी वोटरों को बिहार आने में दिक्कत न हो
बता दें कि बाकी केंद्र में बीजेपी की सरकार है और बिहार में बीजेपी समर्थित सरकार है तो इन वोटरों को देश के अलग-अलग हिस्सों से बिहार वापस लाने के लिए रेलवे से उम्मीद है कि केंद्र के निर्देशानुसार उसे पूरा भी किया जाएगा ताकि प्रवासी वोटरों को बिहार आने में कोई दिक्कत न हो.
2020 की तुलना में 1 महीने पहले चुनाव
प्राप्त जानकारी के अनुसार सबकुछ चुनाव की तारीखों के ऐलान पर निर्भर है कि बिहार में चुनाव कब होंगे और चुनावी तारीख से छठ पूजा की तारीख में कितना अंतर आएगा. बता दें कि साल 2020 में बिहार में तीन चरणों में चुनाव हुए थे. लेकिन इस बार छठ पूजा 25 अक्टूबर को है. यानी कि साल 2020 की तुलना में करीब एक महीने पहले.
छठ के लिए बिहारी की मशक्कत
अब देखना यह है कि क्या चुनाव आयोग भी एक महीने पहले चुनाव करवाने को तैयार है. जानकारी के मुताबिक, चुनाव आयोग वोट के लिए और बिहारी छठ के लिए तो सारी मशक्कत कर सकता है, ऐसे में अगर चुनाव छठ के वक्त नहीं होते तो बीजेपी के सारे किए कराए पर पानी भी फिर सकता है.
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