Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिसका जीवन दिव्य होता है, वही मृत्यु के पश्चात् देवता बनता है. अहंकार और ममता तो मानव को कुमार्ग पर ढकेलने की मन की चालाकी है. मन की इस चालाकी को दूर करने के दो मार्ग हैं- पहला ज्ञानमार्ग एवं दूसरा भक्तिमार्ग.
ज्ञानमार्ग कहता है- सर्वस्व त्याग करो, अपने और पराये किसी से भी स्नेह न करो. सभी के प्रति उदासीन वृत्ति रखो. भक्तिमार्ग कहता है- सर्व में सर्वेश्वर को देखो और सभी के साथ निष्काम भाव से स्नेह सम्बन्ध रखो. भक्तिमार्ग कहता है-अर्धरात्रि को यदि कोई अनजान गरीब व्यक्ति अपने घर आये तो उसमें भी परमात्मा की छवि निहारकर प्रेमपूर्ण सत्कार करो और अपना भाई ही आया है- ऐसे भाव से उसे भोजन कराओ.
यदि ऐसा करोगे तो आपके जीवन में सुख-दुःख पैदा करके परेशान करने वाली और ममता की ढूंता अवश्य समाप्त हो जाएगी. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना.