Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कुछ चोर कारागार में रहते हैं। कुछ चोर महल में रहते हैं। कारागार में रहने वाले के पाप धुलते रहते हैं, जबकि महल में रहने वाले के पाप पल-पल बढ़ते जाते हैं। और जब पाप का घड़ा पूरा भर जाता है तो महल में रहने वाले को कारागार में रहने वाले चोर से भी अधिक कड़ी सजा मिलती है।
महल में रहने वाले ऐसे शाही चोर की पहचान बताते हुए संत और शास्त्र कहते हैं – मेहनत से ज्यादा नफा लेने वाला गलत है। जन्म देने वाले माता-पिता की सेवा न करने वाला पापी है।प्रभु का उपकार माने बिना भोजन करने वाला पापी है।
दुःखी स्वजनों के आँसुओं को पोंछे बिना निश्चिंत सोने वाला व्यक्ति पापी है। ये सभी व्यक्ति धर्मशास्त्र की दृष्टि से पापी हैं, क्योंकि भगवान ने जिन कार्यों के लिए हाथ-पैर एवं धन-दौलत प्रदान करके इन्हें यहां भेजा है, उन कार्यों को ये भूल गए हैं।
अतः बताओ, यदि समाज के पापी को कारागार की सजा होती है तो आध्यात्मिक दृष्टि से वह गलत हैं उनकी क्या दशा होगी? जिसका चित्त सांसारिक सुखों में रचा-पचा है, उसे ब्रह्म-चिंतन में आनन्द कहाँ से आए।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।