Gupt Navratri 2025: गुप्त नवरात्रि पर ऐसे करें मां दुर्गा की उपासना, सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Gupt Navratri 2025: आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि का सनातन धर्म में काफी महत्व है. इस साल गुप्त नवरात्रि 26 जून से शुरू हो रही है. जिसका समापन 04 जुलाई को होगा. गुप्त नवरात्रि का में पूजा पाठ का अपना एक खास महत्व है. इस माह में तंत्र मंत्र का एक अलग महत्व है. इस नवारात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि इस माह में जो भी लोग नियमित तौर पर मां दुर्गा की उपासना करते हैं उनकी सारी मनोकानाएं पूरी हो जाती हैं.

विधि विधान के साथ करें मां दुर्गा की पूजा

मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2025) में विधि विधान के साथ माता की पूजा की जाए को उनका आशीर्वाद बना रहता है. यदि आप भी मां की उपासना करना चाहता हैं तो इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा. साथ ही कुछ सामग्रियों की मदद से मां अंबे की उपासना की जा सकती है.

इन सामग्रियों का करें इस्तेमाल

गुप्त नवरात्रि में पूजा पाठ का विशेष महत्व है. इसके लिए कुछ मुख्य पूजा सामग्रियों को पास में रखें. सबसे पहले मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर होनी सही मानी जाती है. इसके साथ ही मां दुर्गा को लाल रंग खास माना जाता है. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि मां के आसन के तौर पर लाल कपड़े का इस्तामाल करें.

पूजा सामग्री के तौर पर फूल, फूल माला, आम के पत्ते, बंदनवार, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पिसी हुई हल्दी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, पंचमेवा, गंगाजल, नैवेध, जावित्री, नारियल जटा वाला और सूखा नारियल को जुटा लें. नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या फिर चावलों को रंग लें. इसके अलावा दूध, वस्त्र, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती को पूजा के स्थान पर रखें.

वरात्रि में हवन का विशेष महत्व

शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि गुप्त नवरात्रि में हवन का अपना एक विशेष महत्व है. इसके लिए हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा और अक्षत अपने पास जरूर रखें. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. ऐसे में प्रति दिन के हिसाब से मां का ध्यान करें और मंत्रोचारण करें. गुप्त नवरात्रि के दिनों में त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है.

कैसे करें मां की उपासना

वर्णन के अनुसार गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा करने के लिए कुछ नियमों का पालन करें. इसके लिए सूर्योदय से पहले स्नान कर के शुभ मुहूर्त में पूजा के स्थान पर जाएं और मां की मूर्ति या चित्र को एक लाल आसन पर रखें. जिस स्थान पर पूजा उपासना करनी हो उसको गंगाजल से पवित्र कर लें. इसके बाद पूजा आरंभ करें. पूजा की शुरुआत से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज को रखें. वहीं इसके बाद कलश स्थापित करें. अगली प्रक्रिया के अनुसार अखंड ज्योति जलाएं इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. इसके बाद मंत्रों का जाप करें.

(अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. ‘The Printlines’ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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