Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बाले युगोऽयं दारूणःकलिः। देवर्षि नारद जी महाराज भक्ति महारानी से कहते हैं कि- ये कलियुग है। यहां तो सदाचार लुप्त हो गया है। धर्म-कर्म सब छूट चुका है। यहां संत दुःखी हैं और दुष्ट मौजकर रहे हैं। यह कलियुग है। कलियुग का मित्र है अधर्म है। जो पाप करेगा कलियुग उसे ऊपर उठायेगा और जो धर्म करेगा उसको दबायेगा। लेकिन एक बात ध्यान रखना, पत्थर को आप जितनी जोर से फेंकिये बड़ी तेजी से ऊपर जाता है, लेकिन जितनी तेजी से ऊपर जाता है उतनी तेजी से नीचे भी आता है।



