भक्तों के क्रोध में भी छिपा होता है प्रेम: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, काजल का डिठौना- माँ अपने बालक को जब घर से बाहर लेकर निकलती है, तो अपने अंतर की प्रसन्नता को व्यक्त करते हुए वह उसका खूब श्रृंगार करती है. किन्तु साथ-ही-साथ अपने प्यारे, आंखों के तारे को किसी की नजर न लग जाय, इसलिए वह उसके ललाट व गाल पर काजल का एक डिठौना बना देती है. बस इसी तरह, भगवान अपने प्यारे भक्तों को अनेक सद्गुणों से सजाते हैं,

किन्तु उस पर दुनियां की नजर न लग जाय- इस दृष्टि से उसके व्यक्तित्व में एक-आध दोष की रेखा बना देते हैं. अतः भक्तों के क्रोध में भी प्रेम छिपा होता है. साधारण मनुष्य की तरह उनके क्रोध में द्वेष नहीं होता. अतः भक्तों को कभी दोष दृष्टि से मत देखो। अपने भक्त में कहीं अभिमान न आ जाय और उसके मन में दीनता का भाव हमेशा बना रहे,

इस हेतु परमात्मा भक्तों को भी दोष युक्त बनाते हैं. प्रभु को प्रसन्न रखने का लक्ष्य लेकर ही प्रत्येक काम करो. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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