भगवान हमें हमारे सत्कर्मों के अनुसार उचित समय आने पर देते हैं फल : दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानस प्रवचन-मानस सरोवर का भक्तिघाट- मानस सर का तीसरा, भक्ति का घाट है। श्री कागभुसुण्डी जी यहां वक्ता हैं। उन्होंने प्रभु रामचन्द्र के बालस्वरुप की दिन-रात आराधना की। इसी कारण उन्होंने काक योनि में जन्म लिया। क्योंकि काक (कौआ) योनि में कोई झंझट नहीं है। उच्चवर्ण में जन्म हो तो नियमों की बहुत झंझट होती है। भक्त का जन्म तो ऐसा हो, जिसमें बाहरी कोई झंझट ही न हो।
चित्त सदैव भगवान के चरणों में लगा रहे। किसी पर आश्रित न रहें। श्री कागभुसुण्डी जी ने इस संसार की कई उत्पत्तियाँ और प्रलय देखे किन्तु भक्ति ही उनकी शक्ति है। तीसरा घाट भक्ति का है। भक्ति की आवश्यकता इसलिए है कि मानव जीवन के लिए जो बातें आवश्यक होती हैं उनमें केवल आदर्श से काम नहीं चलता। कितना ही बड़ा आदर्श हो, तब भी संकट के समय वह सहायक होगा ही, ऐसा निश्चितरूप से नहीं कहा जा सकता। राजा हरिश्चंद्र सत्य की प्रतिमूर्ति हैं। किंतु आश्चर्य है कि वे भूतकाल का विषय हो गये हैं। किसी पर कोई संकट आ जाये तो हरिश्चंद्र सहायता के लिये नहीं आ सकते।
मनुष्य के अंतःकरण को एक ऐसी शक्ति की आवश्यकता है, जो सर्वत्र विद्यमान हो और किसी भी समय सहायता कर सके। ऐसा ईश्वर, जीव को वांछित है। हम जब श्रीरामजी के नाम का जप करते हैं अथवा श्री हनुमान जी का चिंतन करते हैं तो हमारे अंतःकरण में यह श्रद्धा होती है कि भगवान श्रीरामजी और श्रीहनुमानजी उस काल में भी थे, और आज भी हैं। वे सदा-सर्वदा और सर्वत्र मेरे साथ हैं। इसी कारण हमारे मन में सुरक्षितता की भावना उत्पन्न होती।
हम विमान में यात्रा कर रहे हैं। विचार करें कि विमान ने उड़ान भरी और उसी समय कोई भयंकर संकट उपस्थित हुआ तो सहायता कौन करेगा? उस समय भी हमें सहायता करने वाली कोई शक्ति चाहिए। मनुष्य के अंतःकरण की एक प्रकार से यह भूख है। जिसकी ऐसी मानसिकता है, उन्हें भक्ति के घाट पर बैठकर कथा सुननी चाहिए। उसे श्री राम जी तृप्त करेंगे। वह जिस संकट में होगा, उस संकट से उबारेंगे। हम अपने जीवन में कोई सत्कर्म करते हैं तो फल प्राप्ति की चाह मन में होती है। किंतु वह फल कौन देगा? भूतकाल का कोई आदर्श पुरुष तो वह फल दे नहीं सकता। भगवान ही हमारे सत्कर्मों के अनुसार उचित समय पर हमें निश्चित रुप से फल देंगे।
कदाचित, यह फल हमें ब्याज सहित मिल सकता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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