आत्मदृष्टि से भगवान के चरणों में उत्पन्न होता है स्नेह: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, लुटता हुआ खजाना- आज का जीवन अर्थप्रधान एवं कामप्रधान बन गया है। आज पैसा मुख्य लक्ष्य बन गया है और परमात्मतत्व गौण माना जाने लगा है। इसलिए पहले जो आनन्द रोटी-साग से मिलता था, वह आज मोटर बँगले से भी नहीं मिलता है।
इसका कारण यह है कि सुख-सुविधाओं के साधन ज्यों-ज्यों बढ़ते जाते हैं, त्यों-त्यों मनुष्य के अन्तर में वासना की आग अधिकाधिक भभकती जाती है, जिससे मनुष्य का भीतरी खजाना लुटता रहता है। व्यास जी ने अपनी आर्षदृष्टि- दीर्घदृष्टि से कलियुग के प्राणियों की इस दशा की कल्पना कर ली थी।
कलियुग के पीछे दौड़ने वाला मनुष्य, प्रभु के पीछे दौड़ने की वृत्ति वाला बनें और घर में रहकर साधना का आनन्द अनुभव कर सके- इसी दृष्टि से उन्होंने भागवत का निर्माण किया। आत्मदृष्टि से भगवान के चरणों में स्नेह उत्पन्न होता है और शरीर की दृष्टि से जगत में आशक्ति उत्पन्न होती है, इसलिए आत्मदृष्टि और परमात्मा दृष्टि बनाये रखना चाहिए।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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