Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अपने देश की संस्कृति तो ‘ प्रभाते कर दर्शनम् ‘ की है, परन्तु आज तो ज्यादातर लोग ‘ प्रभाते कप दर्शनम् ‘ की कामना वाले बन गये हैं। हमें प्रकाश और प्राणदान करने वाले सूर्यनारायण की पृथ्वी प्रदक्षिणा तो बहुत सवेरे से ही प्रारम्भ हो जाती है, फिर भी बहुत लोग सोते ही रहते हैं और जब तक ” चाय हो गई है, उठिए” नहीं सुन लेते हैं, तब तक आँख नहीं खोलते।
इस ‘ कपदर्शनम् ‘ की मनोवृति के कारण ही आज हम पतन की खाईं में गिरते चले जा रहे हैं। क्या हम चाय के गुलाम बनने के लिए पैदा हुए हैं? नहीं कदापि नहीं। हम तो प्रभु के द्वारा दिए गये दो हाथों से प्रभु को पसन्द आने वाले सत्कर्म करके प्रभु के प्रिय बनने के लिये पैदा हुए हैं।
जितना धन आपके हाथों से सत्कर्म में लगने वाला है, उतना ही धन आपका है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।