Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संसार की कामना रखने वाले को भी भगवान की प्राप्ति हो सकती है – ऐसा तो किसी धर्म ग्रंथ में नहीं लिखा है। किंतु भागवत तो कहता है कि यदि मनुष्य के काम, क्रोध, लोभ या मोह भगवान की तरफ घूम जायें – इन सभी का आधार यदि भगवान ही बन जायँ, तो ये भी भगवत प्राप्ति के साधन बन जाते हैं।
बृजवासी भक्तों के मन में श्री कृष्ण के प्रति पुत्र का भाव ही था। मोह तो नर्क का द्वार है, फिर भी यह काम भाव भगवान के साथ जुड़ गया था, इसीलिए बृजवासी भक्त निष्काम बन गये। अर्थात् भागवत में तो जीवमात्र के लिए भगवत्प्राप्ति के उत्तम मार्गों का दिग्दर्शन कराया गया है!
सगर्भा स्त्री के विचार और व्यवहार का प्रभाव बालक पर बहुत गहरा पड़ता है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।