जिस घर में गरीब का सम्मान और नीति का धन है, बैकुण्ठ के समान है वह घर: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिस घर में गरीब का सम्मान है और नीति का धन है, वह घर बैकुण्ठ के समान है। इन्द्रियों को चाहे जितना तृप्त किया जाये, वे आज तक न तो तृप्त हुई हैं, न हो रही हैं और न होने वाली है। जिह्वा पर जितनी ममता रखी जायेगी, उतनी ही वह अधिक सतायेगी।
जीभ को प्रसन्न रखने की कोशिश में आंख बिगड़ेगी, मन बिगड़ेगा और चेतना भी बिगड़ेगी। आजकल के सभ्य व्यक्ति होटल या सिनेमा में आनन्द ढूंढते हैं, किन्तु वहां जीभ और आंखों के बिगड़ने के अतिरिक्त और क्या लाभ होता है? पैसे खर्च करके तीन घंटे तक अंधेरे में भीड़ के साथ बैठे रहने में कौन सी बुद्धिमानी है?
सिनेमा मनोरंजन का साधन नहीं, अपितु मन बिगाड़ने वाला मनोरंजन का साधन है। इसको देखने से मन को विश्राम नहीं मिलता, उल्टे दुःख का अनुभव होता है। इसका कारण यह है कि श्रृंगारिक दृश्य को देखकर बिगड़ा हुआ मन स्पर्श सुख के लिए पागल बन जाता है और जीवन का सम्पूर्ण विवेक खो बैठता है।
एक बार भगवान् श्रीकृष्ण भोजन कर रहे थे, वहां पर एक कीड़े को देखकर भगवान हंस पड़े। श्री रुक्मिणी जी ने कारण पूछा, प्रभु ने बताया कि यह कीड़ा बहत्तर बार देवताओं का राजा इन्द्र बन चुका है फिर भी इसकी भोग-लिप्सा खत्म नहीं हुई। इसीलिए आज नाली का कीड़ा बना हुआ है। आज हम सबको कोठी, कार, डल्लफ के गद्दे और टी,वी, सेट मिल गये हैं तो हम सब राजा महराजा हो गये। हम सबको भगवान की याद ही नहीं आती, आज मौज ले रहे हो लेकिन यह मौज चार दिन की है-
कबीरा दिन दस आपनो, नौबत लियो बजाय।
यह पुरपटन यह गली, बहुरि न दीखे जाय।।
धन यौवन यूं जायेगा, जेहि विधि उड़त कपूर।
नारायण हरि भजन कर,क्यौ चाटे जग धूरि।।
यह जग की धूल क्यों चाट रहे हो। ये आंखें चली जायेंगी। आंखें चली गईं,  तब टी,वी, सुख दे सकेगा? कान चले गये, तब क्या संगीत तुम्हें सुख दे सकेगा? दांत निकल गये, तब क्या भुट्टों में आनंद मिलेगा? पेट खराब हो गया, तब रसगुल्ले आनंद दे सकेंगे? कल्पना तो करो, शरीर तुम्हारा जीर्ण शीर्ण होने वाला है। प्रकृति में रहकर कोई पूर्ण निश्चिंत हो सकता है? पूर्ण निश्चिंतता केवल ईश्वर के चरणों में मिलेगी।
दुःखिया नानक सब संसार।
सोई सुखिया जिसु नाम आधार।।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।
Latest News

सौभाग्य के प्रतीक हैं ये पौधे, धन को करते हैं आकर्षित और दूर करती हैं गरीबी

Vastu Plants for Home : आज के समय में घर में पौधे लगाना सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि जीवन के...

More Articles Like This