Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ‘जगत झूठा है’- यह कहकर वेदान्त हमारे मोह को छुड़ाने का यत्न करता है, जबकि वैष्णवशास्त्र ‘ जगत भगवान का है ‘ यह कहकर मोह से मुक्ति दिलाता है। वैष्णव आचार्यों ने जगत को सत्य माना है।
यही कारण है कि उन्होंने ‘जगत में जो कुछ है , भगवान का है’ ऐसा कहकर मन की आसक्ति छोड़ दी है। उनकी नजर में मनुष्य मलिक नहीं, बल्कि मुनीम है। मलिक का पैसा काम में लेना हो तो भी मुनीम विवेक से ही उसका व्यय करता है, क्योंकि उसे अपने मालिक को हिसाब देना है।
यह मानकर कि आपके घर में जो कुछ है, उसका मालिक परमात्मा है और आप उसके मुनीम हो, यदि विवेक से उसका उपयोग करोगे तो आपका जीवन बंधन नहीं बनेगा और शक्ति नष्ट नहीं होगी। अन्न तो ब्रह्म का रूप है। उसको बिगड़ना नहीं चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।