भारत में तेजी से बढ़ती आय के कारण घर खरीदना पिछले डेढ़ दशक के मुकाबले अब काफी किफायती हो गया है. रिपोर्ट के अनुसार, देश का प्राइस-टू-इनकम रेशियो 2025 में 45.3 पर आ गया है, जबकि 2010 में यह 88.5 था. कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान औसत आय में लगभग चार गुना वृद्धि हुई है और यह करीब 10 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है. वहीं, इसी अवधि में घरों की कीमतों में केवल 5-7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि घर पहले की तुलना में अब अधिक अफोर्डेबल हो गए हैं.
देश में घरों की बिक्री मजबूत
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सुधार आवासीय क्षेत्र में नीतिगत परिवर्तनों, आर्थिक झटकों और नए नियमों के कारण कई उतार-चढ़ावों के बावजूद आया है. पिछले दो दशकों में, बाजार ने पीएमएवाई, विमुद्रीकरण, रेरा, एनबीएफसी संकट, एसडब्ल्यूएएमआईएच फंडिंग सपोर्ट और जीएसटी कार्यान्वयन जैसे प्रमुख घटनाक्रमों का सामना किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में घरों की बिक्री भी मजबूत बनी हुई है. कोरोना महामारी के बाद घरों की वार्षिक बिक्री बढ़कर 3-4 लाख यूनिट्स हो गई है. इसकी वजह बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, अफोर्डेबिलिटी में इजाफा होना, अच्छी मौद्रिक नीति और आय का बढ़ना है.
कच्चे माल की लागत ने घरों की कीमतों में किया इजाफा
विशेषज्ञों का मानना है कि घरों की बिक्री की मजबूत गति को आय में लगातार बढ़ोतरी का समर्थन प्राप्त है, जो संपत्ति की कीमतों में वृद्धि से कहीं अधिक रही है. कोलियर्स इंडिया के सीईओ और एमडी बादल याज्ञनिक के अनुसार, अनुकूल ब्याज दरों और उच्च आय स्तरों के कारण आवास की मांग मजबूत बनी हुई है. याज्ञनिक ने यह भी बताया कि हाल के वर्षों में कच्चे माल की लागत ने घरों की कीमतों में इजाफा किया है, लेकिन आय में तेज वृद्धि ने खरीदारों को बाजार में सक्रिय बने रहने में मदद की है. आठ प्रमुख टियर-1 शहरों में, 2010 के बाद से अफोर्डेबिलिटी के स्तर में तेजी से सुधार देखा गया है.
अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे शहर अब सबसे किफायती आवासीय बाजारों के रूप में उभर चुके हैं. रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दरों में कमी से विशेष रूप से किफायती और मध्यम आय वर्ग के आवास क्षेत्रों में खरीदारों के मनोबल और विश्वास में और सुधार होने की संभावना है.