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संसद में मंगलवार को सरकार ने बताया कि देश में जन औषधि केंद्रों (Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Kendras) के माध्यम से पिछले 11 वर्षों में नागरिकों को लगभग ₹38,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है. रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी कि 30 जून, 2025 तक देश भर में 16,912 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि इन केंद्रों के जरिए ब्रांडेड दवाओं की तुलना में सस्ती, लेकिन गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे आम लोगों को बड़ी राहत मिली है.
जन औषधि योजना से ₹38,000 करोड़ की बचत
मंत्री ने कहा, “इस योजना के कारण नागरिकों ने पिछले एक दशक से अधिक समय में ब्रांडेड दवाओं की कीमतों की तुलना में अनुमानित ₹38,000 करोड़ की बचत की है.” उन्होंने आगे कहा कि इस योजना ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान के अनुसार परिवारों द्वारा अपनी जेब से किए जाने वाले खर्च को 2014-15 में कुल स्वास्थ्य व्यय के 62.6% से घटाकर 2021-22 में 39.4% करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. पटेल ने कहा, “जन औषधि तक पहुंच बढ़ाने और जेब से होने वाले खर्च को कम करने के उद्देश्य से, सरकार ने मार्च 2027 तक 25,000 जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है.”
2024-25 में ₹2,000 करोड़ से ज्यादा की बिक्री
उन्होंने कहा कि आउटलेट में 2,110 दवाएं और 315 सर्जिकल, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुएं और सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों को कवर करने वाले उपकरण शामिल हैं. योजना के तहत उत्पाद बाजार में अग्रणी ब्रांडेड उत्पादों की तुलना में लगभग 50-80% सस्ते हैं. पटेल ने कहा, योजना उत्पाद टोकरी में कुल 61 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत, 2023-24 और 2024-25 के दौरान क्रमशः ₹1,470 करोड़ और ₹2,022.47 करोड़ की एमआरपी मूल्य की दवाएं बेची गईं.