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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत के सेवा क्षेत्र ने सितंबर महीने में मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया है. एसएंडपी ग्लोबल द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, HSBC इंडिया सर्विसेज परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) बढ़कर 60.9 पर पहुंच गया. यह स्तर इस बात का संकेत है कि देश की सर्विस इकोनॉमी में तेज़ी बरकरार है. गौरतलब है कि जब भी PMI का आंकड़ा 50 से ऊपर होता है, तो इसे कारोबारी गतिविधियों में विस्तार का संकेत माना जाता है. रिपोर्ट में बताया गया कि यह वृद्धि मजबूत मांग, नई व्यावसायिक गतिविधियों में इजाफे और कंपनियों के सकारात्मक कारोबारी दृष्टिकोण के चलते संभव हुई है.
यह क्षेत्र इस वर्ष भारत के समग्र आर्थिक प्रदर्शन में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक रहा है. एचएसबीसी के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट, प्रांजुल भंडारी ने कहा, भारत के सर्विसेज सेक्टर में व्यावसायिक गतिविधि अगस्त के हालिया उच्च स्तर से सितंबर में कम हुई. अधिकांश ट्रैकर्स में सुधार हुआ, लेकिन सर्वेक्षण में ऐसा कुछ भी नहीं दिखा, जिससे पता चले कि सर्विसेज में वृद्धि की गति में कोई बड़ी गिरावट आई है. फ्यूचर एक्टिविटी इंडेक्स मार्च के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो सर्विस प्रोडवाइडर कंपनियों में व्यावसायिक संभावनाओं को लेकर बढ़ती आशावादिता का संकेत देता है.
एसएंडपी ग्लोबल द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में भारत की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में भी सकारात्मक रुझान देखने को मिला, जहां मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 57.7 दर्ज किया गया. यह दर्शाता है कि सेवा क्षेत्र के साथ-साथ निर्माण क्षेत्र भी विकास की राह पर कायम है. तुलनात्मक रूप से, अगस्त में मैन्युफैक्चरिंग PMI 59.3 और सर्विसेज PMI 62.9 रहा था. हालांकि सितंबर में इन आंकड़ों में थोड़ी गिरावट देखी गई, लेकिन दोनों इंडेक्स 50 से ऊपर बने हुए हैं, जो गतिविधियों में सकारात्मक विस्तार का संकेत देते हैं. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि रोजगार स्तर और इनपुट इन्वेंट्री में स्थिरता बनी हुई है, जो आने वाले महीनों में कारोबार के प्रति विश्वास और स्थायित्व को दर्शाती है.
एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, सितंबर में पिछले 17 वर्षों में परिचालन स्थितियों में सबसे तेज सुधार हुआ है, जिसमें अधिकांश गति विज्ञापन की सफलता और मध्यवर्ती एवं पूंजीगत वस्तुओं की श्रेणियों में मांग में उछाल से आई. विश्लेषकों का मानना है कि सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज दोनों क्षेत्रों में थोड़ी नरमी आई, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में समग्र विकास की गति स्थिर बनी हुई है, जिसे स्थिर घरेलू मांग, नीतिगत स्थिरता और बेहतर होते व्यावसायिक विश्वास का समर्थन प्राप्त है.