लीडिंग पेमेंट्स और फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोवाइडर पेटीएम ने मंगलवार को 30 सितंबर को समाप्त हुई तिमाही (द्वितीय तिमाही FY26) के वित्तीय परिणामों की घोषणा की. रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के सभी प्रॉफिटेबिलिटी मेट्रिक्स में लगातार सुधार देखा गया. इस तिमाही में पेटीएम का ऑपरेटिंग रेवेन्यू पिछले वर्ष की तुलना में 24% बढ़कर 2,061 करोड़ रुपए हो गया. इसकी वजह सब्सक्रिप्शन मर्चेंट्स में बढ़ोतरी, ज्यादा पेमेंट्स GMV और फाइनेंशियल सर्विसेज के डिस्ट्रीब्यूशन में ग्रोथ है.
ईबीआईटीडीए 7 फीसदी मार्जिन के साथ बढ़कर 142 करोड़ रुपए हो गया, यह एआई-लेड ऑपरेटिंग लेवरेज, कॉस्ट पर लगातार डिसिप्लिन और फेस्टिव सीजन की शुरुआती की तेजी को दिखाता है. पेटीएम ने 21 करोड़ रुपए का प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (पीएटी) बताया है, जिसमें शेयरहोल्डर लोन के पूरे इम्पेयरमेंट के लिए 190 करोड़ रुपए का वन-टाइम चार्ज शामिल है. इसके अलावा, पीएटी बढ़कर 211 करोड़ रुपए हो गया, जो चुनौतीपूर्ण मैक्रो वातावरण में कंपनी की अंतर्निहित ताकत और कुशल निष्पादन को दर्शाता है.
अगर कंट्रीब्यूशन प्रॉफिट की बात करें तो, यह साल-दर-साल 35% बढ़कर 1,207 करोड़ रुपए हो गया, जबकि मार्जिन 59% तक बढ़ गया. इस सुधार के पीछे मुख्य कारण हैं, नेट पेमेंट रेवेन्यू और फाइनेंशियल सर्विसेज रेवेन्यू में बढ़ी हिस्सेदारी तथा डायरेक्ट खर्चों में कमी. पेटीएम के कैश बैलेंस की बात करें तो यह 13,068 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जिससे कंपनी को मर्चेंट एक्सपेंशन, फाइनेंशियल सर्विसेज के वितरण और एआई-ड्रिवन इनोवेशन में निवेश के लिए पर्याप्त कैपिटल फ्लेक्सिबिलिटी प्राप्त होती है.
अपने पेमेंट्स बिजनेस में, दूसरे ऑपरेटिंग इनकम को मिलाकर रेवेन्यू सालाना आधार पर 25% बढ़कर 1,223 करोड़ रुपए हो गया, क्योंकि कंपनी ने भारत के एमएसएमई और एंटरप्राइजेज में अपनी लीडरशिप को और मजबूत किया है. ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (जीएमवी) सालाना आधार पर 27% बढ़कर 5.67 लाख करोड़ रुपए हो गई, जबकि मर्चेंट सब्सक्रिप्शन 1.37 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 25 लाख अधिक है. इससे पेटीएम की ओम्नी-चैनल मर्चेंट पेमेंट्स में अग्रणी स्थिति मजबूत हुई है.
तिमाही के दौरान, भारत का पहला एआई साउंडबॉक्स लॉन्च करके पेटीएम ने अपनी एआई-फर्स्ट विजन को और मजबूत किया है. इसके साथ ही कंपनी की लागत संरचना अधिक कुशल और कम खर्चीली हो गई है. अप्रत्यक्ष व्यय साल-दर-साल 18% घटे, जबकि मार्केटिंग लागत में 43% की कमी आई। यह सब तब हुआ, जब पेटीएम ने अपने व्यापारी आधार का विस्तार किया और टियर 2 और टियर 3 शहरों में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया.