महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं बद्ध कोणासन, मन को शांत तो तन को रखता है स्वस्थ

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Baddha Konasana: भारतीय योग पद्धति के पास कई समस्याओं का इलाज है. योगासन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने का एक प्रभावी और सरल माध्यम है. ऐसा ही एक आसन है बद्ध कोणासन, जो न केवल शरीर को लचीला बनाता है, बल्कि मानसिक शांति भी देने में सक्षम है.

शरीर में ऊर्जा का करता है संचार

बद्ध कोणासन, जिसे तितली आसन (Baddha Konasana) या बटरफ्लाई पोज भी कहते हैं, जिसमें दोनों पैरों के तलवों को आपस में जोड़कर बैठा जाता है. यह आसन जांघों और घुटनों को खोलने में मदद करता है और वहां से संबंधित समस्याओं को खत्म करने में कारगर है. बद्ध कोणासन के नियमित अभ्यास से शारीरिक लचीलापन, मानसिक शांति और आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है. यह आसन आजकल की जीवनशैली के हिसाब से और भी कारगर है. यह तनाव और शारीरिक समस्याओं से निपटने का प्रभावी और सरल तरीका है. इसके अलावा, यह आसन रक्त संचार को बेहतर बनाता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है.

मासिक धर्म की समस्याओं को कम करने में मददगार

भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार, बद्ध कोणासन महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है क्योंकि यह मासिक धर्म की समस्याओं को कम करता है और प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखता है. इसके साथ ही यह जांघों और कमर की मांसपेशियों को भी लचीला बनाता है. यह आसन गर्भावस्था के दौरान भी उपयोगी हो सकता है, जिससे कमर और जांघों की मांसपेशियां लचीली बनती हैं. बद्ध कोणासन के नियमित अभ्यास से कई फायदे मिलते हैं. यह ध्यान और श्वास पर केंद्रित होता है, जो मन को शांत करता है. यह आसन रीढ़ को सीधा रखने में मदद करता है, जिससे पीठ दर्द में राहत मिलती है.

सही तकनीक के साथ करना जरूरी बद्ध कोणासन का अभ्यास

बद्ध कोणासन का एक प्रमुख लाभ यह है कि यह ध्यान और श्वास पर केंद्रित होता है. गहरी सांस लेने और मन को शांत करने की प्रक्रिया तनाव और चिंता को कम करती है. यह मानसिक स्थिरता प्रदान करता है और आधुनिक जीवनशैली में व्यस्तता के बीच मन को सुकून देता है. हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बद्ध कोणासन का अभ्यास सही तकनीक के साथ करना जरूरी है. कूल्हों, घुटनों या रीढ़ में चोट की स्थिति में विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. शुरुआती लोगों को धीरे-धीरे और कम समय के लिए अभ्यास शुरू करना चाहिए, ताकि शरीर को आसन की आदत हो सके.

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