Cancer Warning Signs In Legs : आज कल के लोग पैरों की दिक्कतों को अक्सर सामान्य रूप से मानने लगे है. जैसे मांसपेशियों में खिंचाव, गलत पॉश्चर, नसों में सूजन या फिर शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी. लेकिन आपको बता दें कि हर बार वजह इतनी साधारण नहीं होती. कई बार पैरों में समझ न आने वाले लक्षण शरीर के भीतर छिपे कैंसर के शुरुआती संकेत भी हो सकते हैं.
बता दें कि लिम्फोमा, बोन कैंसर, सॉफ्ट-टिश्यू सारकोमा, ल्यूकीमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ओवरी कैंसर या रीढ़ में फैल चुका कैंसर, इन सभी की वजह से पैरों में काफी बदलाव हो सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यह बदलाव नसों पर दबाव, खून या लिंफ फ्लो रुकने के साथ हड्डियों पर असर होने की वजह से होते हैं. ऐसे में पैरों के इन संकेतों को समझना, उनकी वजह जानना और कब डॉक्टर से मिलना चाहिए, समय रहते यह सब जानने की कोशिश करनी चाहिए. तो इलाज और रिकवरी की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
Healthline के अनुसार
विशेष रूप से एक या दोनों पैरों में लगातार सूजन रहना खासकर तब जब यह कई दिनों तक बनी रहे, यह लिम्फोमा, ओवरी कैंसर या पेल्विक ट्यूमर जैसी स्थितियों का संकेत हो सकता है. बता दें कि लिंफ नोड्स ब्लॉक होने पर शरीर में तरल जमा होता है और पैरों में भारीपन, गर्माहट या सख़्ती महसूस होती है. इसके साथ ही कुछ ही दिनों में यह सूजन अक्सर बढ़ जाती है.
इस दौरान पैरों में लगातार रहने वाला दर्द चाहे वह तेज हो, सुस्त हो या रात में बढ़ जाता हो. ये सभी बोन कैंसर या हड्डियों में फैल चुके कैंसर की तरफ इशारा कर सकता है. ऐसे में अगर किसी भी स्थिति में दर्द कम न हो और हफ्तों तक बना रहे, तो इसे हल्के में न लें.
पैरों में झनझनाहट या कमजोरी
प्राप्त जानकारी के अनुसार रीढ़, पेल्विस या पेट में मौजूद कैंसर कई बार उन नसों पर दबाव डाल देते हैं जो पैरों को नियंत्रित करती हैं. इसकी वजह से पैरों में झनझनाहट, चलते समय अस्थिरता और पैर घसीटकर चलने जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं. बता दें कि ये लक्षण समय के साथ बढ़ते हैं, अपने-आप कम नहीं होते.
धीरे-धीरे बढ़ती जाती है समस्याएं
इसके साथ ही सॉफ्ट-टिश्यू सारकोमा आमतौर पर जांघ, पिंडली या नितंब में बिना दर्द वाली गांठ के रूप में शुरू होता है. इस प्रकार की गांठें कड़ी महसूस होती हैं और धीरे-धीरे बढ़ती जाती हैं. ऐसे में 2 सेमी से बड़ी गांठ, तेजी से बढ़ती गांठ को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
त्वचा में बदलाव
- तिल का रंग या आकार बदलना
- इन संकेतों को बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
- नई ग्रोथ
- कई हफ्तों तक न भरने वाले घाव
- पैर में ऐंठन, भारीपन या चलने में कठिनाई
जानकारी के मुताबिक, अगर ट्यूमर पैरों की नसों, आर्टरीज या लिंफ चैनल पर दबाव डालते हैं, तो इसका मतलब पैरों में ब्लड फ्लो कम हो जाता है. इससे गंभीर क्रैम्प्स, भारीपन और चलने में परेशानी होती है. बता दें कि चलने पर दर्द बढ़ना और आराम करने पर कम होना, कुछ लोग इसे सामान्य मान लेते है. जबकि यह अंदर कुछ बड़ा होने का संकेत हो सकता है.
अगर पैरों के लक्षणों के साथ ये समस्याएं भी हों, तो अलर्ट हो जाएं
- वजन का लगातार कम होना
- रात में पसीना
- हल्का लेकिन लगातार बुखार
- अत्यधिक थकान
- बार-बार संक्रमण
- भूख कम होना
ऐसे में अगर ये सभी सामान्य लक्षण पैरों की दिक्कतों के साथ दिखें, तो जांच कराना बेहद जरूरी हो जाता है.
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