Rajasthan

अपना अहंकार निवृत्त करके प्रभु चरणों में अर्पित होना ही है आत्मनिवेदन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, "मैं बंधा हुआ हूं " ऐसा सोचना ही सबसे बड़ा अज्ञान है। इसलिए ' मैं मुक्त हूं ' ये ज्ञान है। उसकी अनुभूति का नाम ही मुक्ति है। मुक्ति...

कलिकाल में कीर्तन मात्र से भगवान की हो जाती थी प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विश्वास से ही दुनियां चलती है। भरोसा जीवन का आधार है। हम लोग कलिकाल को दोष देते हैं लेकिन भागवत में इसी कलिकाल का लाभ भी बताया है। कलिकाल...

यदि हम धर्म की रक्षा करेंगे, तो धर्म हमारी रक्षा करता है: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव के चोले में लोग बैल की जिंदगी जी रहे हैं। जिंदगी भर संसार की गाड़ी को ढोते ही रहते हैं। जीवन की गाड़ी बैल की तरह खींचते नजर...

संपूर्ण मानवता के लिए कल्याणकारी है गीता का ज्ञान: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत विश्व की मानवता के लिये है।श्रीमद्भागवतमहापुराण में एक भी जगह किसी वर्ग विशेष के लिये नहीं कहा गया, सत्य तो सनातन होता है, सबका होता है। गीता ज्ञान...

भगवान श्रीकृष्ण भगवत गीता के माध्यम से संपूर्ण संसार के कल्याण मार्ग को करते हैं प्रशस्त: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अध्यात्म के मंदिर में यौवन में ही प्रवेश करना चाहिये। क्योंकि यौवन खिला हुआ गुलाब है, जीवन का बसंत है। वृद्धावस्था का मुरझाया हुआ गुलाब भगवान् को नहीं भेंट...

सद्भाव और त्याग के बिना सेवा की बातों का नहीं है कोई मूल्य: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, योगी बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए? योगी बनने के लिए उपयोगी बने। उपयोगी बनने के लिए तीन गुण जीवन में चाहिए। एक है सबके प्रति सद्भाव, दूसरा...

शक्ति की जीवंत प्रतिमा है श्री हनुमान जी महाराज: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्रीमद्भगवत गीता में कहते हैं कि काम, क्रोध, लोभ इन सबको हे अर्जुन, तू शत्रु समझ। यही सच्चे शत्रु हैं और इन शत्रुओं के साथ लड़ने की शक्ति...

भक्ति के मार्ग पर चलने के लिये भक्ति के उपरान्त शक्ति की भी पड़ती है जरूरत: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संयम जीवन कल्याण के लिए बहुत आवश्यक है। बलपूर्वक इंद्रियों को रोकने से कुंठाएं एवं विकृतियां होती हैं। अतः वासनाओं को उपासना के द्वारा परिवर्तित कर देना चाहिए। तपस्या...

जो दूसरों की मदद करते रहते हैं, भगवान उनकी ही करते हैं मदद: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पार्थ का अर्थ होता है पुरुषार्थ। योगेश्वर कृष्ण भगवान की कृपा का नाम है। भगवान उनकी ही मदद करते हैं जो दूसरों की मदद करते रहते हैं। हमारा जीवन...

मनुष्य के जीवन में जन्म के साथ ही शुरू हो जाता संघर्ष: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, इस जीवन का नाम ही संघर्ष है। मनुष्य जन्मता है तभी से संघर्ष शुरू हो जाता है। अपने पैरों पर खड़े रहने के लिये, स्वाश्रयी बनने के लिये, वह...
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